मुरैना के दाऊजी मंदिर में आए द्वारिकाधीश, शुरू हुईं लीलाएं, हजारों श्रद्धालुओं ने किए नाग के दर्शन

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    नई दिल्ली: दीपावली के पडवा पर द्वारका छोड़कर द्वारिकाधीश (श्रीकृष्ण) साढ़े तीन दिन के लिए मुरैना (मध्य प्रदेश) के दाऊजी मंदिर में आ गए हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर दीपावली की पड़वा पर मुरैना के प्रसिद्ध दाऊजी मंदिर में भगवान आते हैं। इसको लेकर मंदिर में मेले और श्रीकृष्ण लीला की शुरुआत हो गई।वहीं कालिया नाग नथने के दौरान सेकडों भक्त तालाब के किनारे पहुंचे और जब सांप तालाब में आया तब लोगों ने श्रीकृष्ण के जय जय कर के नारे लगाए।

    बता दें कि साढ़े तीन दिन के लिए द्वारिका में मंदिर के दरवाजे बंद रहते है और वहां पूजा नहीं होती। वहीं दिवाली के अगले दिन पड़वा पर भगवान द्वारिकाधीश (श्रीकृष्ण) के आने की खुशी में दाऊजी मंदिर में मेला शुरू हो गया है।

    ऐसा माना जाता है कि कालिया नाग प्रसंग के दौरान नाग मंदिर के पास बने तालाब में नाग आते है और सभी को दर्शन देकर वापस चले जाते है। लोग इसे बड़े भाग्य की बात मानते हैं। बता दें कि श्रद्धालु नाग को भगवान स्वरूप मानते हुए तालाब के चारों तरफ दर्शन करने के लिए बैठ जाते हैं।  इसी क्रम में शुक्रवार शाम को पांच बजे के लगभग तालाब में सांप दिखाई दिया। लोगों ने उसके दर्शन किए, जिसके बाद वह वापस पानी में चले गए। वहीं कुछ लोगों ने सांप का वीडियो भी बनाया है।

    रथ पर सवार होकर निकले बाल कृष्ण

    इस खास मौके पर दो बच्चों को बाल कृष्ण के रुप में रथ में बैठाकर नाचते-गाते मंदिर परिसर में लाया गया। दौरान सबसे आगे बांसुरी बजाते हुए भक्त चल रहे थे। रथ सहित बाल रुप में द्वारिकाधीश मंदिर के अंदर गए, जहां उनकी पूजा अर्चना की गई।

    Photo: Google

     नवजात को लाए डोली में रखकर

    भगवन द्वारिकाधीश के मंदिर के महंत स्वामी परिवार को वरदान मिला है कि शरद पूर्णिमा से लेकर दीपावली के बीच उनके परिवार में बच्चा जरूर जन्म लेगा। उस वरदान के अनुसार स्वामी परिवार में जिस बच्चे ने जन्म लिया था। उसे डोली में रखकर और सिर पर रखकर गाजे-बाजे के साथ लाया गया और मंदिर में ही उससे नाग नाथने की लीला कराई गई।

    इस दौरान जगह-जगह पर भंडारे हो रहे हैं। सभी श्रद्धालुओं के मन में एक ही बात है कि मुरैना में द्वारिकाधीश आए हैं, जो कि उनके लिए बड़े सौभाग्य की बात है। मेला रात तक चलता रहा। श्रद्धालुओें का भीड़ लगी रहती है। पांच दिन तक मेला चलता है। साथ ही भगवान की सभी लीलाओं का आयोजन किया जाता है।