सुखी दांपत्य जीवन के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत, जानिए कब है करवाचौथ

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-सीमा कुमारी
नवरात्र के समाप्त होते ही करवाचौथ की तैयारी शुरू जाती है. यह हिन्दू सुहागिन महिलाओं के लिए एक खास त्यौहार है. दरअसल यह कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को देशभर में मनाया जाने वाला त्यौहार है. सुहागिनों के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, यश कीर्ति व सफल दांपत्य जीवन की कामना के लिए दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं .संध्या में चंद्रमा को अघ्र्य देने के साथ व्रत पूर्ण होता है . यही ऐसा व्रत है जो सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही करती हैं . इस बार करवाचौथ चार नवंबर को है   करवाचौथ की तैयारी के लिए महिलाएं बाजार से पूजा की सामग्री और खुद के लिए भी शॉपिंग करती है.जैसे साड़ी,सूट गहने आदि पहली बार व्रत रखने वाली नवविवाहिताओं में खासा उत्साह है हालांकि, हर आयु वर्ग की महिलाएं अपने-अपने अंदाज में त्योहार मनाने में जुटी हुई है . तो चलिए जानते हैं करवा चौथ के व्रत, पूजा की विधि और पूजन सामग्री.

व्रत विधि-
करवाचौथ के दिन चंद्रदेव के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित पूरे परिवार की विशेष पूजा अर्चना होती है .विशेषकर भगवान गणेश के भाल चंद्र रूप की पूजा अर्चना होती है .रात में चंद्रदेव को अघ्र्य देने के उपरांत ही जल ग्रहण किया जाता है  इस दौरान महिलाएं निराहार रहती हैं .

करवा चौथ 2020  शुभ मुहूर्त-
इस साल करवा चौथ व्रत पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:29 बजे से 6:48 बजे तक का रहेगा. इस दिन चंद्रोदय रात 8:16 बजे पर होगा. पांचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 4 नवंबर को 03:24 पर होगा. चतुर्थी तिथि 5 नवंबर शाम 5:14 तक रहेगी.

करवा चौथ का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात पति के हाथ से जल पीकर तोड़ा जाता है। करवा चौथ के दिन कथा पढ़ने का विधान भी है, इसलिए अपने घर की परंपरा अनुसार दिन या संध्या के समय करवा चौथ की कथा पढ़े या सुने . शाम की पूजा के लिए चंद्रमा निकलने के पहले ही सारी तैयारियां करके रख लें . इस दिन सोलह श्रंगार करने का बहुत महत्व होता है .पूजन से पहले गाय के गोबर लगाकर उस पर पीसे हुए चावल या खड़िया से चंद्रमा की आकृति बनाएं .एक पटरी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें . उसके बाद दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करें .चंद्रमा की आकृति पर तिलक करें . देवी-देवताओं को तिलक लगाएं .लौंग कर्पूर जलाएं . फल फूल अर्पित करें .श्रंगार की सभी सामाग्री की भी पूजा करें .तत्पश्चात छलनी में दिया लेकर चंद्रमा का प्रतिबिंब देखे उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें . चंद्रमा की आरती करें और हाथों में पूजा की सींक लेकर जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए सात परिक्रमा करें . पूजा संपन्न हो जाने के बाद अपने पति के हाथों से जल पीकर व्रत खोलें, घर के सभी बड़ो का आशीर्वाद लें .