25 जुलाई से शुरू होगा पवित्र सावन, जानें सोमवार व्रत की तिथियां, ऐसे खुश करें महादेव को

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली : हिन्दू धर्म में ‘श्रावण माह’ का बड़ा महत्व होता है। हिन्दू भक्त सावन के महीने का ब्रेसब्री से इंतजार करते है, क्योंकि सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत ही शुभ और फलदायनी होता है।  धार्मिक दृष्टि से सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। और इस महीने पड़ने वाले सोमवार व्रत का भी विशेष महत्व होता है।इस साल श्रावण महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं, और सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है।

    धार्मिक मान्यता के मुताबिक, सावन सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। ऐसे में इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। खासतौर से सावन के सोमवार को की गई पूजा, व्रत, उपाय तुंरत फल प्रदान करने वाले कहे गए हैं।भगवान शिव और मां पार्वती की एक साथ पूजा करने से  सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। और, जीवन में आ रही आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है।

    इस साल सावन में इन तारीखों को है सोमवार

     पहला सोमवार – 26 जुलाई 2021

    दूसरा सोमवार – 02 अगस्त 2021

    तीसरा सोमवार – 09 अगस्त 2021

    चौथा सोमवार – 16 अगस्त 2021

    सावन महीने की पूजा- विधि:

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें। और सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।  शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं,.भगवान भोलेनाथ को पुष्प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, आलू, चंदन,अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य आदि अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।

    सावन सोमवार व्रत नियम:

    शास्त्रों के अनुसार, भगवान भोलेनाथ की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।

    पौराणिक कथा:

    देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को कैलाशपति भगवान शिव जी ने पी लिया था। विष के प्रभाव से उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया था जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी। भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर वर्षा की। कहते हैं कि यह घटनाक्रम सावन के महीने में हुआ था। इस प्रकार से शिव जी ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी। तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं।