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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: 22 मार्च, सोमवार से चैत्र महीने की ‘चैत्र नवरात्रि’ (Chaitra Navratri) की शुरू होने वाली है। नवरात्रि स्थापना से लेकर रामनवमी तक का समय अत्यंत पवित्रता, उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। आदिशक्ति की उपासना के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव से की जाती है। देवी मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों को शक्ति, स्फूर्ति और विनम्रता प्रदान करती हैं। सभी को अपना ममतामयी आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि पूजा के इन पावन दिनों में यदि श्रद्धा भक्ति के साथ-साथ कुछ वास्तु नियमों को ध्यान रखकर मां दुर्गा की उपासना की जाए तो इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित फल देती हैं। आइए जानें उन कुछ वास्तु नियमों के बारे में –

वास्तु मान्यताओं के मुताबिक, मूर्ति स्थापित करने से पहले आप दिशा का खास ध्यान रखें। आप मां की मूर्ति उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिशा में मूर्ति रखने से शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं।

ध्यान रहे कि जिस कमरे में आप माता का पूजन कर रहे हैं, वह कक्ष साफ़-सुथरा हो, उसकी दीवारें हल्के पीले, गुलाबी, हरे या बैंगनी जैसे सात्विक रंग की हो तो अच्छा है, क्योंकि ये रंग आध्यात्मिक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते है। काले, नीले और भूरे जैसे तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए क्योंकि ये रंग सुस्ती एवं आलस्य को बढ़ाते हैं।

विग्रह, यानी मूर्ति घर में रखने से पहले आप यहां पर मूर्ति रखने वाले हैं वहां पर सिंदूर, साबुत चावल जरुर डालें। इसके बाद ही मूर्ति स्थापित करें। जब मूर्ति उठानी है तो स्थापित किए हुए चावलों को घर की तिजोरी या फिर रसोई में रख दें।

मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा की प्रतिमा आप दक्षिण दिशा में भूलकर भी न रखें, क्योंकि यह दिशा यम की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में मूर्ति रखने से घर में नेगेटिव शक्तियां आती है और घर की सुख-शांति पर भी प्रभाव पड़ता है।

देवी मां की पूजा-अनुष्ठान के दौरान घर के प्रवेशद्वार पर आम या अशोक के ताजे हरे पत्तों की बंदनवार लगाई जाती है। ऐसा करने के पीछे मान्यता यह है कि इससे घर में नकारात्मक या बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं। माना जाता है कि देवी मां की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं, लेकिन मुख्य द्वार पर बंदनवार लगी होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं।

इसके अलावा मां दुर्गा की मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए। इस बात का भी खास ध्यान रखें। मां की मूर्ति आप 3 इंच से बड़ी न लेकर आएं। इसके अलावा मूर्ति का रंग पीला, हरा, गुलाबी होना चाहिए।