
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: मां काली को समर्पित ‘काली चौदस (Kali Chaudas 2023 ) का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस बार यह पर्व आज यानी 11 नवंबर, शनिवार को मनाई जा रही। यह पर्व दीपावली से एक दिन पहले यानि छोटी दिवाली को मनाई जाती है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहते है। यूं तो देशभर में काली चौदस का पर्व मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में विशेष रूप से इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाने की विशेष परंपरा है। इस दिन मां काली की विशेष उपासना का विधान है। आइए जानें काली चौदस का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसकी महिमा
तिथि
पंचांग के अनुसार, इस साल काली चौदस का पर्व 11 नवंबर को मनाया जाएगा। कहा जाता है कि काली चौदस पर देवी पार्वती के मां काली स्वरूप की उपासना करने से बुराइयों से सुरक्षा और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
शुभ मुहूर्त
काली चौदस को भूत चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नामों से भी जाना जाता है। मां काली के भक्त इस दिन बीच रात में पूजा-अर्चना करते है। पंचांग के अनुसार, इस साल काली चौदस की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 नवंबर को दोपहर 1:57 पर शुरू होगा और अगले दिन 12 नवंबर की दोपहर 2:44 पर समाप्त हो जाएगा। देवी काली की पूजा मध्य रात्रि में निशिता काल मुहूर्त में ही की जाती है।
पूजा विधि
काली चौदस की पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान करना आवश्यक होता है। धार्मिक मान्यता है कि अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति नरक से मुक्ति मिल जाती है।
अभ्यंग स्नान के स्नान के बाद शरीर पर परफ्यूम लगाएं और पूजा के लिए बैठ जाएं। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर मां काली की मूर्ति की स्थापना करें और फिर पूजा करें।
चौकी पर मां काली का मुर्ति स्थापना करने के बाद वहां दीप जलाएं। दीप जलाने के बाद कुमकुम, हल्दी, कपूर और नारियल देवी काली पर चढ़ाएं।
महिमा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस प्रकार दीवाली की रात मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है, उसी तरह काली चौदस की मध्य रात्रि में मां काली की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। काली चौदस पर मां काली की पूजा विरोधियों पर विजय प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। तंत्र विद्या का साधकों के लिए काली चौदस की रात बेहद खास होती है।