-सीमा कुमारी
20 नवंबर से ‘मार्गशीर्ष’ महीना यानी, अगहन महीना शुरू हो गया है। मान्यता है कि इस माह पूजा और दान का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अगहन महीने में कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस विशेष महीने में कुछ महत्पूर्ण नियम होते है,जिसका पालन करना बहुत ही जरूरी है। आइए जानें उन नियमों को –
पुराणों के अनुसार अगहन महीने में शंख की पूजा करनी चाहिए। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला कहा गया है। इस कारण आरती के बाद भक्तों पर शंख से जल छिड़का जाता है। शंख को लक्ष्मी का प्रतीक भी माना गया है। इसकी पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जो जातक नियमित रूप से शंख की पूजा करता है। उसके घर में धन की कमी नहीं रहती। विष्णु पुराण में शंख को मां लक्ष्मी का भाई बताया गया है।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘मार्गशीर्ष’ माह में रोज गीता का पाठ जरूर करें। प्रत्येक दिन एक अध्याय का पाठ करें। भगवान कृष्ण की उपासना करें और तुलसी के पत्तों का भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। पूरे मास “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करना चाहिए।
इस महीने में मंगलकार्य करने चाहिए, क्योंकि ये इस मास में किए एक हर कार्य फलदायी होते हैं। श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य के समस्त कष्ट दूर होते हैं। इस मास की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ चन्द्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है। इसलिए इस मास में अधिक से अधिक पूजन कार्य करने चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
इस पूरे महीने आलस्य, क्रोध और किसी का अपमान न करें।
शराब और मांस से परहेज करें।
दही और जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।
श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
इस माह जरूरतमंदों को अन्न का दान करें।