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-सीमा कुमारी   

हिंदू धर्म में सकट चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है, जो इस साल 31 जनवरी के दिन रविवार को है। इस व्रत को पूरे देशभर में हर्षोल्लास एवं पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस व्रत में विघ्नहर्ता प्रथम पूजनीय गणेश जी पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणपति संकटों को हरने वाले हैं। ऐसे में इनकी पूजा से जीवन की परेशानियां दूर होकर सफलता के रास्ते खुलते हैं। ऐसे में ही संतान प्राप्ति व उनके सुखी जीवन के लिए महिलाएं सकट चौथ का व्रत रखती हैं। इस दिन को तिलकुट चौथ, सकटा चौथ, माघ चतुर्थी,संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसे में इस व्रत की पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं  व्रत से जुड़े कुछ नियम…

  • इस शुभ एवं पावन दिन पर घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। साथ ही उनके बाएं  हाथ की ओर एक कलश में जल भरकर रखें। कलश को चावल और गेहूं के ऊपर ही रखें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि चावल टूटे हुए ना होकर एकदम साफ और सही हो। साथ ही कलश को मौली बांधकर उसके ऊपर आम के पत्ते सजाकर नारियल रखें।
  • गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापना के बाद उनके सीधे हाथ की और शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। इसके अलावा इसी स्थान पर दक्षिणावर्ती शंख रखें।
  • भगवान गणेश जी को धूप और अगरबत्ती अतिप्रिय है। ऐसे में उनकी पूजा करने से पहले इसे जरूर जलाएं। इससे उनकी असीम कृपा की प्राप्ति होगी। साथ ही गणेश जी का तिलक करके मौली चढ़ाएं। 
  • भगवान गणेश जी को मोदक, लड्डू आदि चीजें बहुत पसंद है। ध्यान रखें कि उनकी पूजा समय पर हो। साथ ही समय पर ही उन्हें प्रसाद का भोग लगाया जाए। 
  • गणेश जी की पूजा करके ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जप करते हुए उन्हें 21 दूर्वा चढ़ाएं। फिर गणपति देवा को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। इसके साथ ही तिल तथा गुड़ से बने लड्डू, ईख, शकरकंद, गुड़ और घी चढ़ाएं।गणेश जी के 12 नामों का स्मरण करके पूजा करें- विघ्न-नाश, गजानन, सुमुख, एकदंत, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, कपिल, विनायक, भालचंद्र,धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष।