Maa durga

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    -सीमा कुमारी

    26 सितंबर यानी सोमवार से शक्ति की भक्ति आरंभ हो रही है। यानी ‘शारदीय नवरात्रि’ (Shardiya Navratri) हिंदू धर्म में नवरात्र के दौरान जितना महत्व कलश स्थापना का होता है उतना ही महत्व अखंड ज्योति का भी माना जाता है। ऐसे में अगर आप भी नवरात्र के व्रत के दौरान अखंड ज्योति जलाते हैं तो ऐसा करने से पहले उससे जुड़े कुछ नियम भी जान लेना बहुत ही जरूरी है। कहा जाता है कि अखंड ज्योति से जुड़े इन नियमों का पालन करने से मां दुर्गा अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं, और मुंहमांगा वरदान देती हैं। आइए जानें अखंड ज्योति से जुड़े ये नियम।

    ऐसे जलाएं  

    • अखंड ज्योति किसी पीतल या मिट्‌टी के बड़े दीपपात्र में घटस्थापना से प्रज्वलित की जाती हैं। 9 दिन तक बिना बुझे इसे जलाए रखना होता है। ध्यान रहे मिट्‌टी का दीपपात्र खंडित न हो।  
    • दीपपात्र को जमीन पर न रखें। पूजा की चौकी पर अष्टदल बनाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति का पात्र रखें।  
    • नवरात्र के दौरान व्रत रखने वाले बहुत कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि अखंड ज्योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है।
    • इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें।
    • अखंड ज्योति जलाने के लिए घी, सरसों या तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि अगर आप घी का दीपक जला रहे हैं, तो उसे देवी मां के दाहिने तरफ, अगर दीपक तेल का है तो उसे देवी मां के बाईं तरफ रखना चाहिए।  
    • दीपक जलाने से पहले गणेश भगवान, मां दुर्गा और भगवान शिव का ध्यान अवश्य करें।

    धार्मिक महत्व

    अखंड ज्योति में जलने वाला दीपक दिन-रात जलता रहता है। मान्यता है कि अखंड दीपक व्रत की समाप्ति तक बुझना नहीं चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नवरात्र के दौरान मां के समक्ष अखंड ज्योति जलाने के पीछे एक अहम वजह बताई जाती है। माना जाता है कि जिस तरह घोर अंधेरे में एक छोटा-सा दीपक विपरीत परिस्थितियों में रहकर अपने आस-पास का अंधेरा दूर कर उस जगह को रोशनी से भर देता है उसी तरह माता के भक्त भी मां की आस्था के सहारे अपने जीवन के अंधकार को मिटा सकते हैं।