सीमा कुमारी
नई दिल्ली: 26 जनवरी, गुरुवार को ‘बसंत पंचमी’ (Basant Panchami) का पावन त्यौहार है। विद्या, संगीत और कला की देवी ‘मां सरस्वती’ (Maa Saraswati ) को समर्पित बसंत पंचमी का पावन त्यौहार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ‘बसंत पंचमी’ हिंदुओं के सबसे शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है। इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, वाणी और ज्ञान की देवी ‘माता सरस्वती’ (Maa Saraswati ) की पूजा की जाती हैं।
गौरतलब है कि सनातन धर्म में माता सरस्वती को विद्या देने वाली देवी के रूप में बताया गया है। ऐसे में बसंत पंचमी पर सभी स्कूलों व कॉलेज में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा के दौरान पीले फूल अर्पित किए जाते हैं। वहीं, पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं। आइए जानें इसके पीछे क्या धार्मिक कारण हैं ?
शुभ मुहूर्त
इस साल बसंत पंचमी पर्व 26 जनवरी, गुरुवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी की दोपहर 12.33 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 26 जनवरी की सुबह 10.37 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी बसंत 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी की सुबह 07.06 मिनट से दोपहर 12.34 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होगी और शुभ फल देगी।
‘बसंत पंचमी’ पर क्यों पहने जाते हैं पीले वस्त्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ‘माता सरस्वती’ का प्रिय रंग पीला है और पीला रंग जीवन में पॉजिटिविटी, नई किरणों और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता हैं। यही वजह है कि ‘बसंत पंचमी’ पर पीले रंग के वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता हैं। इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा के दौरान बूंदी के लड्डू या बेसन के लड्डू से भोग लगाने पर मां प्रसन्न होती हैं। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पीले फूल भी चढ़ाए जाते हैं और उनके लिए पीले रंग का आसन भी बिछाया जाता है।