जानिए हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की कथा

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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिंदू धर्म में सिंदूर को बहुत ही पवित्र माना जाता है, क्योंकि सिंदूर को अखंड सुहाग का प्रतीक बताया जाता है। सुहागिन महिलाएं इसे अपनी मांग में लगाती हैं। वहीं, कई देवी-देवताओं को सिंदूर चढ़ाया भी जाता है। पूजा-पाठ में भी इसका महत्व बहुत अधिक होता है।

    मंगलवार यानी हनुमानजी की पूजा-अर्चना का दिन है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं को उन पर अर्पण करने के दिन सिंदूर भी होता है। कई लोग मन्नत पूरी होने के बाद भी हनुमानजी पर सिंदूर चढ़ाते हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है?

    सिंदूर चढ़ाने के पीछे क्या कारण या कथा है? अगर नहीं तो जानिए क्या कहते हैं शास्त्र और क्यों प्रिय हैं हनुमान जी को सिंदूर –

    पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता जब वनवास से अयोध्या लौटे थे तो उसके बाद एक दिन माता सीता के कक्ष में हनुमान जी पहुंचे। हनुमान जी ने देखा कि माता सीता अपनी मांग में लाल रंग की कोई चीज सजा रही हैं। उनके पूछने पर सीता माता ने बताया कि ये सिंदूर है।

    यह सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक सिंदूर है। इसे मांग में सजाने से मुझे श्रीराम जी का स्नेह प्राप्त होता है। साथ ही उनकी आयु भी लंबी होती है। जैसे ही हनुमानजी ने यह सुना तो उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। उन्होंने सोचा कि इससे प्रभु श्रीराम की आयु और लंबी हो जाएगी। इससे वो उन्हें और भी ज्यादा स्नेह करने लगेंगे। सिंदूर लगाकर हनुमान जी प्रभु रामजी की सभा में चले गए।

    जब श्री राम ने उन्हें ऐसा देखा, तो वो हैरान रह गए। श्रीराम ने उनसे पूछा तो उन्होंने ऐसा करने का कारण बताया। हनुमानजी ने कहा कि इससे आप अमर हो जाएंगे और मुझे सीता माता की तरह आपका स्नेह मिलेगा। यह सुन रामजी भाव-विभोर हो गए। उन्होंने हनुमान जी को गले से लगा लिया। तब से ही हनुमान जी को सिंदूर से बेहद प्रेम है। जो व्यक्ति उन पर सिंदूर चढ़ाता है उसे हनुमान जी बेहद पसंद करते हैं और उससे प्रसन्न हो जाते हैं।