जानें क्या हैं अष्टमी और नवमी की सही तिथि और कन्या पूजा का शुभ मुहूर्त

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 -सीमा कुमारी

आज  नवरात्रि का नौवें दिन भी है. इस दिन  देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.  इस दिन  जो भी इंसान विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करते है, उन्हें सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं. मां सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का अंतिम स्वरूप हैं. यह सभी प्रकार के वरदान तथा सिद्धियां प्रदान करती हैं. देवी कमल-पुष्प पर विराजमान हैं तथा इनके हाथों में शंख, गदा, पदम और चक्र है. 

ऐसा माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री की कृपा से गंधर्व, नाग, किन्नर, यक्ष और देवी-देवता सभी सिद्धियां प्राप्त करते हैं कमल के फूल पर विराजमान और सिंह की सवारी करने वाली मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं में गदा, चक्र, कमल का फूल और शंख धारण करती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्माण्ड के आरंभ में सर्वशक्तिमान देवी आदि पराशक्ति भगवान शिव के शरीर के बाएं भाग पर सिद्धिदात्री स्वरूप में प्रकट हुई थीं.

महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की होने वाली पूजा से व्यक्ति को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं. मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करके आप अपने समस्त शोक, रोग एवं भय से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि देवों के देव महादेव जब तारक मन्त्र देते हैं तो मां सिद्धिदात्री मन्त्र धारण करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करती हैं.

दिनाँक 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को महानवमी का व्रत, हवन, आयुध पूजा, महानवमी पूजा कर सकते हैं जबकि दिनाँक 25 अक्टूबर 2020,रविवार को बलिदान हेतु महानवमी होगी.

महानवमी की पूजा विधि:

आज महानवमी के दिन प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके पश्चात मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा करें, जिसमें उनको पुष्प, अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि समर्पित करें. आज के दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं. ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाली अनहोनी से अपका बचाव होगा. मां सिद्धदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं, इनकी पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होता है. मां दुर्गा को मीठा हलुआ, पूरणपोठी, खीर, मालपुआ, केला, नारियल और मिष्ठान्न बहुत प्रिय है. नवरात्रि में उनको प्रतिदिन इनका भोग लगाना चाहिए. माता रानी को सभी प्रकार का हलुआ पसंद है.

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

  • अष्टमी  कन्या पूजा : 24 अक्टूबर दिन शनिवार सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक 
  • नवमी कन्या पूजा : 25 अक्टूबर दिन रविवार सुबह 7:41बजे  तक