जानिए कब है दर्श अमावस्या, इसका शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि

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    -सीमा कुमारी

    हिंदू धर्म में ‘दर्श अमावस्या’ का एक विशेष महत्व होता है, जो इस साल 13 मार्च, शनिवार को है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा पूरी तरह से गायब हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूर्वजों की पूजा एवं ध्यान करना बड़ा फलदायक होता है। इस दिन भक्तगण व्रत रख कर पूजा करते हैं, और कहा ये भी जाता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस व्रत को करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। चलिए जानते हैं कब है इस पावन पर्व का शुभ मुहूर्त…

    ‘दर्श अमावस्या’ का शुभ मुहूर्त-

    • फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या
    • प्रारम्भ – 03:02 शाम,12 मार्च,  
    • समाप्त – 03:50 शाम, 13 मार्च, दिन शनिवार

    ‘दर्श अमावस्या’ महत्व-
    फाल्गुन मास की अमावस्या के दिन व्रत, पूजन और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कालसर्प दोष निवारण के लिए भी यह दिन बहुत उत्तम होता है। इस दिन कालसर्प का निवारण करवाने के बाद चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे कालसर्प का निवारण होता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध कर्म करने के साथ उनके नाम से दान आदि करने से उनका आशीर्वाद बना रहता है, जिससे जीवन की सारी समस्याएं दूर होती हैं। परिवार में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली हमेशा बनी रहती है।

    पूजन विधि-

    • इस दिन  प्रातः उठकर किसी नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करें।
    • स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल दें और उसके बाद अपने पितरों को जल देकर व्रत का संकल्प करें।
    • यदि पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करना चाहते हैं तो वह अनुष्ठान भी संपन्न करें।
    • जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
    • इस दिन दान का विशेष महत्व है। अपने पितरों के नाम से अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी आदि का दान करें। 
    • किसी गौशाला में गाय के लिए हरा चारा या फिर चारे के लिए धन का दान करें।