गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी

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     नई दिल्ली : बाप्पा का पर्व हमें आनंद और खुशहाली देता है। दस दिन बाप्पा सभी के घर विराजमान रहे और अनंत चतुर्दशी को यह गणेश चतुर्थी का पावन पर्व सम्पन्न हुआ। अब 24 सितंबर को भगवान गणेश जी का एक और त्यौहार आ रहा है। आपको बता दें कि कल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी है। इस त्यौहार में भगवान गणपति जी की पूजा पाठ और आराधना की जाती है। जानते है संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि….  

    संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त :

    आपको बता दें कि 24 सितंबर को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी है। इसका शुभ मुहूर्त 24 सितंबर के दिन यानी शुक्रवार को प्रातः 08 बजकर 29 मिनट पर आरंभ होगा। वही इसका समापन 25 सितंबर (शनिवार) के दिन प्रातः 10 बजकर 36 मिनट पर होगा। आपको बता दें कि इस दिन राहु काल है इसे ध्यान में रखते हुए भक्त पूजा करें। राहुकाल 24 सितंबर को दिन में 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। 

    संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि :

    1. संकष्टी चतुर्थी  के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं। 

    2. इस दिन जो लोग व्रत करने वाले है, वे लोग पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें। 

     3. संकष्टी चतुर्थी  के इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है

    4. स्नान के बाद गणपति की पूजा की आरंभ करें। 

     5. गणपति की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। 

    6. सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें। 

    7. पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें। 

     8. ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की मूर्ति भी अपने पास रखें। 

    9. गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें। 

    10 संकष्टी को भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।