महाशिवरात्रि विशेष: ऐसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत का एक विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि (Mahashivratri) 11 मार्च गुरूवार को है। इस दिन शिव भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर दूध, बेल-पत्र धतूरा और भांग आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत और रात्रि जागरण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि व्रत के शुभ योग बन रहे हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ दिन, मां पार्वती के संग देवों के देव महादेव शिव का विवाह हुआ था। आइए जानें महाशिवरात्रि का शुभ  मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व…

    महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त:

    • महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 गुरूवार
    • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
    • चतुर्थी तिथि समाप्‍त:  12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक

    शिवरात्रि पारण समय:

    • 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक

    पूजा विधि:

    • शास्त्रों के अनुसार,सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद जिस जगह पूजा करते हैं, वहां साफ कर लें। फिर महादेव को पंचामृत से स्नान करें। 
    • तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, जायफल, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र अर्पित करें। 
    • शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं, फिर खीर का भोग लगाएं।
    • महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। 
    • रात के समय प्रसाद रूपी खीर का सेवन कर पारण करें और दूसरों को भी प्रसाद बांटें।

    महत्व:

    मान्यता यह है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। दांपत्य जीवन में खुशियां लाने के लिए, मनचाहा जीवन साथी प्राप्त करने के लिए भक्त इस दिन व्रत करते हैं। ईशान संहिता के अनुसार, ‘फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:। तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथि।’

    अर्थात् फाल्गुन चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिव लिंगरूप में अमिट प्रभा के साथ उद्भूत हुए। इस रात को कालरात्रि और सिद्धि की रात भी कहते हैं। जो भक्त महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं। भगवान शिव सदैव उनपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। महादेव के आशीर्वाद से घरों में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।