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    नई दिल्ली: हम सब जानते है हमारे देश में हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी और 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है। जैसा की हमें  पता है लोहड़ी और मकर संक्रांति दोनों का ही अलग महत्व है। लोहड़ी का पर्व नए फसल की तैयारी के लिए उत्तर भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। साथ ही इसके अगले दिन यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है। लेकिन इस बार हम सबका पसंदीदा त्योहार 14 जनवरी को नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाया जायेगा। आइए जानते है आखिर इसके पीछे क्या है वजह…

    ऐसे निर्भर होती है मकर संक्रांति की तिथि 

    आपको बता दें कि मकर संक्रांति की यह तिथि सूर्य के राशि परिवर्तन पर निर्भर करती है। इसके पहले भी ऐसा हुआ है कि कई बार मकर संक्रांति 14 जनवरी के बदले 15 जनवरी को मनाई जाती है।

    जी हां इस वर्ष भी मकर संक्रांति को 15 जनवरी को मनाई जाएगी। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। वहीं, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है, तो मकर संक्रांति पड़ती है। आइए, जानते है तिथि परिवर्तन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी.. 

    क्यों 15 को है मकर संक्रांति 

    दरअसल ज्योतिषों में सूर्य राशि परिवर्तन के समय को लेकर मतभेद है। कई ज्योतिष बताते हैं कि 14 जनवरी को दिन में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। वहीं, कई ज्योतिषियों का कहना है कि 14 जनवरी को रात्रि में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाला है। दोनों तथ्यों के हिसाब से उदया तिथि अगले दिन 15 जनवरी को है। अतः 15 जनवरी ही मान्य होगा।

    सनातन धर्म में उदया तिथि मान होता है, यानी बेहद महत्वपूर्ण होती है। जब 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, तो संध्याकाल का समय रहेगा। अतः उदया तिथि 15 जनवरी को मान होगा। इसलिए इस वर्ष मकर संक्रांति 14 नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाई जाएगी।