12 अगस्त को है ‘नारियल पूर्णिमा’, जानिए महाराष्ट्र के इस खास त्योहार के बारे में

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    नई दिल्ली: सावन आते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है, ऐसे में आता है महाराष्ट्र का एक खास त्यौहार जिसका नाम ‘नारियल पूर्णिमा’ है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला ‘नारियल पूर्णिमा’ का बड़ा महत्व है। यह खास त्योहार सावन महीने के पूर्णिमा के दिन  महाराष्ट्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 12 अगस्त, शुक्रवार के दिन है। दरअसल ‘नारियल पूर्णिमा’ के इस त्यौहार में  भक्त समुद्र के देवता वरुण भगवान की पूजा करते हैं, और उन्हें नारियल चढ़ाते हैं। आइए जानते है इस ‘नारियल पूर्णिमा’ त्यौहार के बारे में कुछ खास बातें.. 

    ‘नारियल पूर्णिमा’ के इस त्यौहार को लेकर ऐसा माना जाता है कि श्रावण पूर्णिमा के शुभ दिन समुद्र के देवता की पूजा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं। महाराष्ट्र के ब्राह्मण इस दिन ‘श्रावणी उपकर्म अनुष्ठान’ करते हैं। वे इस दिन फलाहार व्रत रखते हैं और व्रत के दौरान केवल नारियल ही खाते हैं। इसलिए, तटीय महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में, श्रावण पूर्णिमा के दिन को ‘नारियल पूर्णिमा’ के रूप में भी जाना जाता है। ‘नारियल पूर्णिमा’ के दिन लोग प्रकृति के प्रति अपना सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के लिए पेड़ लगाते हैं। नारियल पूर्णिमा को ‘नारली पूर्णिमा’ के रूप में भी पुकारा जाता है। 

    नारली पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 

    जाइए कि हमने आपको बताया कि इस साल नारली पूर्णिमा कल यानी 12 अगस्त 2022 (शुक्रवार) को मनाई जा रही है। आपको बता दें कि ऐसे में पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 बजे शुरू हो चुकी है और 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी। इस तरह नारली पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त है। 

    नारली पूर्णिमा  मंत्र 

    जानकारी के लिए आपको बता दें कि नारली पूर्णिमा पर्व में पूजा के समय यह मंत्र पढ़ा जाता है- ॐ वं वरुणाय नमः, अगर आप भी यह पूजा कर रहे है तो पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण कर सकते है। 

    ये है नारली पूर्णिमा का महत्व 

    नारली पूर्णिमा मछली पकड़ने के सीजन की शुरुआत का दिन है। इसलिए मछुआरे (Fishermen) भगवान वरुण (Lord Varun) का पूजन करते है और प्रसाद चढ़ाते हैं। वे समुद्र से प्रचुर मात्रा में मछली पकड़ने का आशीर्वाद लेने के लिए भगवन से विशेष प्रार्थना करते हैं। पूजा की रस्में पूरी करने के बाद मछुआरे अपनी सजी हुई नाव लेकर समुद्र में जाते हैं। और शुभ शुरुआत करके कुछ समय में समुद्र से वापस किनारे पर लौट आते हैं और परिवार के साथ उत्सव मनाते हैं।

    इस दिन नारियल से मीठा पकवान बनाया जाता है, जिसे रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खाया जाता है। इस दिन नारियल को मुख्य भोजन माना जाता है और मछुआरे इससे बने विभिन्न व्यंजनों का सेवन करते हैं। साथ ही गायन और नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण होता है।