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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: 17 अगस्त, बुधवार ‘हल षष्ठी’ (Hal Shashthi) का पावन व्रत है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, हल षष्ठी का व्रत महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु के लिए रखती है।

    पौराणिक मान्यता है कि, इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। मान्यता यह भी है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर संतान के जुड़ी समस्त समस्याएं दूर हो जाती है। आइए जानें हल षष्ठी का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और इसकी महिमा-

    शुभ मुहूर्त

    कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ: 16 अगस्त, मंगलवार रात्रि 08: 19 से

    कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त: 17 अगस्त, बुधवार, रात्रि 09: 21 मिनट

    उदयातिथि के आधार पर हल षष्ठी 18 अगस्त को मनाई जाएगी।

    पूजन विधि

    • हलषष्ठी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • इसके बाद एक पीला वस्त्र चौकी पर बिछाएं और श्री कृष्ण और बलराम जी की फोटो या प्रतिमा चौकी पर रखें।
    • इसके बाद बलराम जी की प्रतिमा पर चंदन का तिलक करें और पुष्प अर्पित करें।
    • बलराम जी का ध्यान करके उन्हें प्रणाम करें और भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
    • हलषष्ठी पर श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के शस्त्र की पूजा का भी विधान है।
    • संभव हो तो प्रतीकात्मक हल बनाकर उसकी पूजा करें।

    महत्व

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हल छठ या हल षष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और हल की पूजा के साथ बलराम की पूजा करती हैं। भगवान बलराम की कृपा से घर में सुख रहता है।