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    नई दिल्ली: देवो के देव महादेव का महापर्व यानी महाशिवरात्रि इस साल 18 फरवरी शनिवार को है। ऐसे में इस महापर्व को मनाने के लिए शिवभक्त तैयारियों में जुटे हुए है। ऐसे में आज हम महाशिवरात्रि के अवसर पर आपके लिए एक खास खबर लेकर आएं है। दरअसल राजस्थान के कोटा के थेगड़ा क्षेत्र के शिवपुरी धाम का एक किस्सा नेपाल के काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ा है। नागा साधु सनातन पुरी महाराज इस मंदिर के संरक्षक हैं। जिनके गुरुदेव स्वर्गीय राणाराम पुरी महाराज ने 35 वर्ष पूर्व कठिन योग, तपस्या और साधना के बाद यहां 525 शिवलिंगों की स्थापना की थी। आपको बता दें की यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां 525 शिवलिंग है। आइए जानते है इस अनोखे मंदिर के बारे में… 

    मंदिर में 525 शिवलिंग

     इस बारे में सनातन पुरी महाराज का कहना है कि मंदिर में 525 शिवलिंग हैं। इन्हें जोड़ने पर संख्या 12 होती है। इसलिए मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले भक्तों को 12 ज्योतिर्लिंगों का फल मिलता है। सनातन पुरी महाराज का कहना है कि दिवंगत नागा साधु राणा रामपुरी महाराज ठेगाड़ा स्थित शिवपुरी धाम में निवास करते थे। तब यहां कोई मंदिर नहीं था। 1980 के आसपास, उन्होंने काठमांडू, नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर का दौरा किया। वहां उन्होंने भगवान शंकर को चढ़ाने के लिए प्रसाद, बेलपत्र, अगरबत्ती और माला आदि लीं। लेकिन, उसे मंदिर में ले जाने की इजाजत नहीं थी। 

    बढ़ती जा रही भक्तों की भीड़ 

    साथ ही हर मंदिर में एक ही मूर्ति थी, भक्तों की भीड़ बढ़ती जा रही थी, किसी को ठीक से दर्शन नहीं हो रहे थे। पूजा सामग्री को कब्जे में लेती पुलिस। भक्त कुछ सेकेंड के लिए ही भगवान के दर्शन करते थे। इस स्थिति को देखकर नागा साधु राणाराम पुरी ने एक धाम बनाने का फैसला किया जहां लाखों लोग महाशिवरात्रि और श्रावण के सोमवार को पूजा कर सकें।

     

    लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र 

    पहले शिवपुरी धाम में केवल प्राचीन धूना (छोटा मंदिर) था। यह 500 से 1000 वर्ष पुराना बताया जाता है। धूना के आसपास शाही परिवारों की भूमि थी। उसने यह जमीन सिर्फ मंदिर के लिए दी थी। वर्ष 1986 में नागा साधु राणा रामपुरी महाराज ने राजपरिवार से जमीन लेकर 525 शिवलिंगों की स्थापना शुरू की। 1987 में उनका निधन हो गया। तब सनातन पुरी महाराज ने पदभार संभाला और मंदिर में 525 शिवलिंगों की स्थापना पूरी की। उसके बाद यह अनोखा मंदिर बन गया है और यहां लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ गई है।

    इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं 

    सनातन पुरी महाराज कहते हैं कि यहां 525 शिवलिंग हैं। दूर-दूर से लोग भोलेनाथ के स्वरूप के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त पूजा, रुद्राभिषेक, प्रार्थना, पूजा और परिक्रमा करते हैं। उन्होंने कहा कि यहां पूजा करने से भक्त के जीवन में समृद्धि आती है।