करे पूर्णिमा व्रत और चंद्र ग्रह के दोषों से पाए निजात

हर माह शुक्ल पक्ष तिथि के दिन पूर्णिमा की पूजा की जाती हैं। पूर्णिमा हमेशा ही हिंदू पंचांग के मुताबिक शुक्ल पक्ष की अंतिम 15वीं तिथि को होती हैं। इस दिन चंद्रमा काफी प्रबल होता हैं। पौराणिक धर्म

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हर माह शुक्ल पक्ष तिथि के दिन पूर्णिमा की पूजा की जाती हैं। पूर्णिमा हमेशा ही हिंदू पंचांग के मुताबिक शुक्ल पक्ष की अंतिम 15वीं तिथि को होती हैं। इस दिन चंद्रमा काफी प्रबल होता हैं। पौराणिक धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि चंद्रमा को पूर्णिमा तिथि सबसे अधिक प्रिय होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती हैं। चन्द्रमा को माँ पार्वती का प्रतीक माना जाता हैं। 

पूजा विधि- ऐसी मान्यता है की पूर्णिमा की पूजा किसी पवित्र नदी के किनारे करना बहुत शुभ माना जाता हैं। किसी कारणवश अगर आप नदी में स्नान करने में असमर्थ है तो आप घर पर ही गंगाजल डाल कर नाहा सकते हैं। पूर्णिमा तिथि पर पित्र तर्पण करना भी बहुत शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नान करने के पश्चात संकल्प लेकर पूरे विधि विधान से चंद्र देव की पूजा अर्चना करें। 

व्रत के लाभ- मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है पूर्णिमा का यह व्रत साथ ही पारिवारिक कलह और अशांति दूर करता हैं। चंद्र ग्रह से पीड़ित जातकों के लिए यह व्रत फलदाई साबित होता हैं। पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बेलपत्र, शमी पत्र अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है। जो लोग अकारण डरते हैं या मानसिक चिंता से ग्रसित रहते हैं उन्हें पूर्णमासी व्रत अवश्य करना चाहिए। 

मंत्र: ओम सोम सोमाय नमः