सीमा कुमारी
नई दिल्ली: 30 मार्च, गुरुवार के दिन ‘रामनवमी’ (Ram Navami) का पावन पर्व देश भर में मनाया जाएगा। यह पर्व हिंदू धर्म के लिए बड़ा शुभ माना जाता है। क्योंकि, रामनवमी के दिन ही भगवान श्री राम ने अयोध्या में राजा दशरथ के घर पर जन्म लिया था। सनातन परंपरा में भगवान राम का नाम सुख-समृद्धि और सौभाग्य का कारक माना गया है।
जिस तारक मंत्र राम नाम को जपते ही लोगों के दुख और परेशानियां पलक झपकते दूर हो जाती हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्मोत्सव हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। आइए जानें रामनवमी पर भगवान श्री राम की पूजा की विधि और इसका शुभ मुहूर्त के बारे में –
शुभ मुहूर्त
भगवान राम के प्राकट्य दिवस से जुड़ा राम नवमी का पावन पर्व इस साल 30 मार्च 2023, गुरुवार के दिन मनाया जायेगा। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च 2023, बुधवार को रात्रि 09:07 बजे से प्रारंभ होकर 30 मार्च 2023, गुरुवार को रात्रि 11:30 बजे तक रहेगी। पंचांग के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम की पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त प्रात:काल 11:11 से दोपहर 01:40 बजे तक रहेगा।
हालांकि इस दिन और भी कई शुभ मुहूर्त रहेंगे। रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग प्रात:काल 10:59 से लेकर अगले दिन प्रात:काल 06:13 बजे तक रहेगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन बना रहेगा। इसी प्रकार रामनवमी पर अमृत सिद्धि योग रात्रि से लेकर अगले दिन यानि 31 मार्च 2023 को 06:13 बजे तक रहेगा।
पूजा विधि
इस दिन प्रभु श्री राम की पूजा का पुण्य फल पाने के लिए साधक को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। चूंकि भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए रामनवमी के दिन पूजा के इस नियम का जरूर पालन करना चाहिए। इसके बाद साधक को भगवान राम के व्रत का विधि-विधान से संकल्प लेकर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाना चाहिए। इसके बाद प्रभु श्री राम की मूर्ति या फोटो को उस पर स्थापित करके उन्हें गंगाजल अर्पित करना चाहिए।
प्रभु श्री राम की पूजा में वस्त्र, पुष्प और भोग हमेशा पीले रंग को प्रमुखता देना चाहिए। जैसे पूजा में उन्हें पीले रंग के फूल, पीले रंग का चंदन, पीले रंग के वस्त्र और पीले रंग की मिठाई का भोग अर्पित करें। भगवान राम की पूजा में कमल के पुष्प और तुलसी दल को चढ़ाने का बहुत ज्यादा महत्व है। इसलिए यदि आपके पास उपलब्ध हो तो जरूर चढ़ाएं। इसके बाद भगवान राम की धूप-दीप से पूजा करने के बाद भगवान रामरक्षा स्तोत्र या रामचरित मानस का पाठ करें। यदि यह संभव न हो पाए तो कम से कम राम नाम के महामंत्र का अधिक से अधिक जाप जरूर करें। पूजा के अंत में भगवान राम की आरती करें और अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें।