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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: महायोगी, महादेव मृत्युंजय शिव शम्भू भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए सावन महीना अति विशेष माना गया है। इस वर्ष सावन का महीना 14 जुलाई, गुरुवार से शुरू हो चुका है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में पूजा से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है और आदिदेव महादेव की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए हम कुछ मशहूर मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। इन्हीं में से एक है गाजियाबाद का प्राचीन ‘दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर’। मान्यता है कि यहीं रावण ने अपना दसवां सिर आदिदेव महादेव को अर्पित किया था। आइए जानें इस मंदिर के बारे में –

    जानकारों के मुताबिक, ग़ाज़ियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर संबंध रावण काल से भी जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंडन नदी के किनारे पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी जोकि रावण के पिता थे। इसके साथ ही रावण ने भी पूजा की थी। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है।

    किंवदंती के अनुसार यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां कई साल पहले एक गाय ने अपना दूध एक स्थान पर गिरा देती थी। काफी लंबे समय तक ऐसा होने पर गाय के मालिक ने उस गाय पर नजर रखी। फिर उसने देखा कि उस स्थान में गायों के पहुंचते ही दूध की धार बंध जाती है। यह पूरा किस्सा ग्वाले से गांव वालों को आकर बताया। जिसके बाद गाय के सभी लोग उस स्थान में पहुंच रहे थे।

    वहीं दूसरी ओर कोट नामक गांव में उच्चकोटि के दसनामी जूना अखाड़े के एक सन्यासी सिद्ध महात्मा को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए और उस स्थान पर पहुंचने का आदेश दिया। प्रातः इधर गाँव वाले लोग पहुंचे और दूसरी तरफ से महात्मा अपने शिष्यों के साथ इस पावन स्थल पर पहुंच गए। इसके बाद खुदाई शुरू की गई। खुदाई के बाद शिवलिंग नजर आएं। इसके बाद उनकी वहां स्थापना करके पूजा की जाने लगी।

    शिवलिंग वाली जगह खोदने के बाद बुजुर्गों ने कहा कि आसपास कोई जल स्तोत्र भी है। ऐसे में आसपास खुदाई करने पर एक अनोखा कुआं भी मिला। माना जाता है कि कुएं का पानी कभी मीठा तो कभी दूध जैसा स्वाद देता है। आज भी यह कुंआ मठ में स्थित है।

    एक पत्थर से बना है मुख्य द्वार

    मंदिर के मुख्य द्वार को एक ही पत्थर से तराशा गया है। दरवाजे के बीच में भगवान गणेश को विराजमान किया गया है।

    श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में स्थित है ‘वेद विद्यापीठ’

    साल 2002 में श्री शंकराचार्य जयंती ने यहां एक वेद विद्यापीठ की स्थापना की गई थी। इस मंदिर परिसर के तहत श्री दूधेश्वर विश्वविद्यालय में बीस कक्षाएं शुरू की गई हैं। यह एक समृद्ध पुस्तकालय भी है, जिसमें लगभग आठ सौ ग्रंथ हैं। यहां पर वेद शास्त्रों की शिक्षा लेने देश के कोने-कोने से विद्यार्थी आते हैं।