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    -सीमा कुमारी

    सनातन धर्म में सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रत एकादशी का होता है। इस बार ‘सफला एकादशी’ (Saphala Ekadashi) 19 दिसंबर 2022, सोमवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ‘सफला एकादशी’ कहा जाता है।

    इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और हर दुख से छुटकारा भी मिल जाता है। इस दिन पूजा पाठ करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानें सफला एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

    तिथि और शुभ मुहूर्त  

    • सफला एकादशी 2022 तिथि- 19 दिसंबर 2022, सोमवार
    • एकादशी तिथि आरंभ- पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 32 मिनट पर शुरू
    • एकादशी तिथि का समापन- एकादशी तिथि का समापन 20 दिसंबर 2022 को सुबह 02 बजकर 32 मिनट पर होगा।
    • सफला एकादशी व्रत का पारण 20 दिसंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 05 से सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक किया जाएगा।

    पूजन विधि 

    सफला एकादशी के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. उसके बाद भगवान अच्युत और भगवान विष्णु को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए. नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग आदि से भगवान अच्युत और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए।  

    इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बड़ा महत्व है। व्रत के अगले दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।  

    महिमा

    शास्त्रों में सफला एकादशी का विशेष महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार, युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि उन्हें बड़े से बड़े यज्ञों, अनुष्ठान से मुझे उतना संतोष नहीं मिलता है जितना एकादशी व्रत से मिल जाता है। सफला एकादशी का व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा, सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि और खुशहाली मिलती है।