इस साल सकट चौथ 31 जनवरी को पूरे देश में उत्साह के साथ मनाई जाएगी। हिन्दू धर्म (Hindu religion) में इस व्रत (Fast) का बहुत महत्व (Importance) है। इस दिन महिलाएं (Women) अपनी संतान (Children) की लंबी आयु (Long Life) के लिए व्रत रखती हैं और भगवान गणेश (Lord Ganesha) की उपासना करती हैं। सकट चौथ (Sakat Chauth) पर भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और रात में चंद्रमा (Moon) को अर्घ देकर व्रत को पूर्ण किया जाता है। वैसे तो भगवान गणेश को देश के हर कोने में पूजा जाता है, लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) में अष्टविनायक (Ashtavinayak) की पूजा (Worship) का अलग ही धार्मिक और पौराणिक महत्व है। तो चलिए इस शुभ अवसर पर आपको बताते हैं कहाँ-कहाँ हैं अष्टविनायक के मंदिर…
मयूरेश्वर मंदिर-
मयूरेश्वर विनायक मंदिर अष्टविनायक के मंदिर में से एक है। यह पुणे के मोरगांव में स्थित है। इस मंदिर के चार द्वार हैं, जिन्हें चारों युगों–सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग और कलियुग का प्रतीक माना गया है। यहां पर गणपति बप्पा बैठी हुई मुद्रा में विराजते हैं। उनके दर्शन से लोगों के संकट दूर हो जाते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर-
सिद्धिविनायक मंदिर अहमदनगर में स्थित है, जो पुणे से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि यहीं पर सिद्धटेक स्थान पर विष्णु जी ने अष्ट सिद्धियां प्राप्त की थी। इस मंदिर में गणेश जी की 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी प्रतिमा है और गणेश जी की सूंड दाईं ओर है।
बल्लालेश्वर मंदिर-
बल्लालेश्वर मंदिर रायगढ़ के पाली गांव में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इसका नाम गणेश जी के परम भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। कथा के अनुसार बल्लाल को उसके परिवार ने गणेश जी की प्रतिमा के साथ जंगल में छोड़ दिया था। जिसके बाद उन्होंने गणेश जी का स्मरण किया था, बाद में भगवान प्रसन्न होकर इसी स्थान पर बल्लाल को दर्शन दिए थे।
वरदविनायक मंदिर-
अष्टविनायक के एक और मंदिर का नाम वरदविनायक मंदिर है, जो रायगढ़ के कोल्हापुर में स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि एक दीपक है, जो कई वर्षों से लगातार प्रज्वलित है। इस दीपक को नंददीप कहा जाता है, मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
चिंतामणि मंदिर-
थेउर गांव में स्थित चिंतामणि मंदिर बेहद ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में आकर भक्तों की सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। साथ ही उनकी समस्याओं का अंत भी होता है। एक कथा के अनुसार सृष्टि के रचयिता स्वयं ब्रह्मा जी ने मन की शांति के लिए यहां पर तपस्या की थी। इस मंदिर की खासियत है कि यह मंदिर तीन नदियों, भीम, मुला और मुथा के संगम पर है।
गिरिजात्मज अष्टविनायक-
गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर लेण्याद्री गांव में स्थित है। यह मंदिर पुणे-नासिक राजमार्ग पर है। इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं यह उस पहाड़ पर स्थित है जहाँ 18 बौद्ध गुफाएं हैं, इन गुफाओं को गणेश गुफा के नाम से जाना जाता है।
विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर-
विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर पुणे के ओझर जिले के जूनर में स्थित है। यह मंदिर भी प्राचीनतम है और कथा के अनुसार गणेश जी ने साधु-संतों की रक्षा करने के लिए विघ्नासुर नामक राक्षस का अंत इसी स्थान पर किया था। तभी से गणेश जी को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है।
महागणपति मंदिर-
महागणपति मंदिर राजणगांव में स्थित है। यहां विराजमान गणेश जी की प्रतिमा को माहोतक नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को 9-10वीं सदी के समय में बनाया गया था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मूल प्रतिमा की विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा हेतु तहखाने में छिपा दिया गया है।