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    -सीमा कुमारी

    ‘रक्षाबंधन’ इस साल 22 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा। ‘रक्षाबंधन’ का त्योहार ‘श्रवण नक्षत्र’ (Shravana Nakshatra) में मनाया जाता है। लेकिन, इस बार यह ‘सावन पूर्णिमा’ पर ‘धनिष्ठा नक्षत्र’ (Dhanishta Nakshatra) के साथ मनाया जाएगा। यही नहीं ‘शोभन योग’ (Shobhan Yog) इस त्योहार को और भी खास बना रहा है।  

    ज्योतिष शास्त्र  के मुताबिक, रक्षाबंधन के अवसर पर इस बार सैकड़ों साल बाद एक ‘महासंयोग’ भी बन रहा है। राखी पर इस बार ‘भद्रा’ का साया बिल्कुल भी नहीं रहेगा। जिसके कारण बहनें पूरे दिन अपने प्यारे भैया को राखी बांध सकती है। इस दौरान कुंभ राशि में गुरू की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा।

    गुरू और चंद्रमा के युगल संयोग से इस साल ‘रक्षाबंधन’ पर ‘गजकेसरी योग’ (Gajakesari Yog) बन रहा है। ‘गजकेसरी योग’ से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धन संपत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति होती है। ‘गजकेसरी योग’ से राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है।

    यदि ‘रक्षाबंधन’ (Raksha Bandhan) के दिन अन्य ग्रहों का संयोग देखा जाए, तो ‘रक्षाबंधन’ के दिन सूर्य, मंगल और बुध तीनों एक साथ सिंह राशि में मौजूद रहेंगे।

    ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ‘रक्षाबंधन’ पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग 474 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 11 अगस्त 1547 को ग्रहों की ऐसी स्थिति बनी थी, जब ‘धनिष्ठा नक्षत्र’ में  रक्षाबंधन मनाया गया था और सूर्य, मंगल और बुध एक साथ ऐसी स्थिति में आए थे।

    ज्योतिषविदों का मानना है कि, ‘रक्षाबंधन’ पर सैकड़ों साल बाद ऐसा संयोग बनने से भाई-बहन के लिए यह बहुत ही लाभकारी और सुख प्रदान करने वाले होगा। इसके अलावा, राजयोग बनने पर खरीदारी करना भी अत्यंत शुभ रहेगा।

    राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

    ‘रक्षाबंधन’ पर इस बार राखी बांधने के लिए 12 घंटे 13 मिनट की शुभ अवधि रहेगी। आप सुबह 5.50 से लेकर शाम 6.03 तक किसी भी वक्त रक्षाबंधन का त्योहार मना सकते हैं।  वहीं, ‘भद्रा काल’ 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।