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    सीमा कुमारी- 

    आज यानी 18 फरवरी को देशभर में धूमधाम और आस्था के साथ ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri) का महापर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के शिवलिंग रूप की पूजा का विशेष विधान माना जाता है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु व्रत-उपवास रखकर श्रद्धापूर्वक शिवजी की पूजा-आराधना करते हैं। उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

    शिवजी की पूजा के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, महाशिवरात्रि की पूजा में इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि शिवजी की मूर्ति या प्रतिमा की पूजा और शिवलिंग की पूजा में काफी अंतर होता हैं। दोनों की पूजा एक समान नहीं होती है। इसलिए यदि आप बिना इस अंतर को जानें पूजा करेंगे तो इससे पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होगा। आइए जानें इन अंतर के बारे में-

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव की मूर्ति पूजा में जल से ही अभिषेक का विधान है जबकि शिवलिंग की पूजा में दूध, दही, केसर, रुद्राक्ष आदि प्रयोग किये जा सकते हैं।

    • शिवजी की प्रतिमा या मूर्ति की पूजा हमेशा किसी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए। जबकि शिवलिंग पूजा में आसन जरूरी नहीं हैं।
    • भगवान शिव की मूर्ति पूजा में उन्हें वस्त्र अर्पित किये जा सकते हैं जबकि शिवलिंग पूजा में वस्त्रों का कोई स्थान नहीं।
    • भगवान शिव की पूजा के लिए आप घर पर भी मूर्ति या प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। लेकिन शिवलिंग को घर पर स्थापित नहीं किया जाता हैं। यदि आप घर पर शिवलिंग स्थापित करते हैं तो इससे जुड़े नियमों का पालन करना जरूरी होता है।  
    • ज्योतिषियों का कहना है कि, भगवान शिव की मूर्ति पूजा पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कर सकती हैं। जबकि शिवलिंग पूजा में महिलाओं का स्पर्श बाधित है।
    • भगवान शिव की मूर्ति पूजा के बाद उनकी पूर्ण परिक्रमा लगाई जाती है, जबकि शिवलिंग पूजा के बाद आधी परिक्रमा लगाने का नियम है।