Ekadashi

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में आषाढ़ महीने का बड़ा महत्व है। इस साल आषाढ़ महीने की शुरुआत 5 जून से हो रही है और यह 3 जुलाई को खत्म हो जाएगा। पंचांग के अनुसार, देखा जाए तो ये विक्रम संवत (Vikram samwat) का चतुर्थ माह होता है। इस आषाढ़ माह का हिन्दू धर्म में खास आध्यात्मिक महत्व है।

ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस माह में भगवान शिव (Lord Shiva) को और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को पूजा जाता है। साथ ही, इस पावन माह में कई व्रत एवं त्योहार की भी कोई कमी नहीं होती है, जिनमें से प्रमुख है भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) निकलना और देवशयनी एकादशी।

कहते हैं, इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। इसलिए इस महीने भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं इस महीने कुछ काम है जिसे करने की मनाही होती है। वहीं कुछ चीजों को करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानें आषाढ़ महीने की महिमा-

आषाढ़ महीना यज्ञ और पूजा पाठ करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने यज्ञ आदि कराने से उसका फल बहुत जल्द मिलता है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यदेव को आरोग्य का देवता कहा जाता है।इसलिए आषाढ़ के महीने में सूर्यदेव की पूजा करने से शारीरिक कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है।

ऐसी मान्यता है कि, जो लोग इस माह में इन देवताओं का सच्ची आस्था से पूजन करते हैं उनकी कामयाबी के बीच आ रही रूकावटें दूर होती है। साथ ही पूजन करने वाले को सभी पुण्यों के समान किए गए कार्यों का फल भी मिलता है। आषाढ़ मास की एकादशी से जुड़ी मान्यता और भी खास है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इसका उपवास रखते हैं उन्हें 88 हजार ब्राह्मण और गायों को भोज कराने जितना पुण्य मिलता   है। इस एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। जो लोग इस समय पर अपने गुरुओं का पूजन करते हैं उन्हें भी विशेष फल मिलता है।