
-सीमा कुमारी
इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना, रमजान का महीना 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है। रमजान के महीने में 30 दिनों तक रोजा रखा जाता है। इस दौरान मुसलमान भाई सूर्य निकलने के बाद और सूर्य अस्त होने से पहले अन्न ग्रहण नहीं करते है। इसके अलावा, पूरे महीने अपने विचारों में शुद्धता और अपनी बातों से किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है। इस पूरे महीने शरीर की शुद्धता पर विशेष ध्यान भी रखा जाता है।
इस एक महीने में रोजे के दौरान सभी तय वक्त पर सुबह को सहरी और शाम को इफ्तार करते है। रोजे में सहरी और इफ्तार दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी का समय होता है। इस दौरान लोग खाते-पीते है। इसके बाद सुबह फज्र की अजान के साथ रोजा शुरू होता है और सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होने पर रोजा खोला जाता है।
इस्लामी कैलेंडर के नौंवे महीने में रोजा रखा जाता है। रमजान की शुरूआत चांद के दिखने के बाद होती है। भारत में इस बार रमजान महीने की शुरुआत शनिवार 2 अप्रैल से हो रही है। हालांकि, रमजान महीने की तारीख चांद दिखने पर ही तय होगी. रमजान का ये महीना 2 मई को खत्म हो सकता है।
इस्लाम मानने वाले हर व्यक्ति को रोजा रखने के लिए कहा गया है। लेकिन बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और बीमार लोगों को रोजा न रखने की छूट है। जो लोग यात्रा पर हैं, उन्हें भी रोजा रखने में छूट मिलती है।
जिन महिलाओं के पीरियड्स चल रहे हैं, उन्हें भी रोजा रखने से छूट दी जाती है। हालांकि ये जरूर है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं जितने दिन रोजा नहीं रखतीं, उन्हें उतने ही रोजे बाद में और रखने होते है। अगर कोई बीमार व्यक्ति रोजा रखता है तो सहरी और इफ्तार के वक्त उसे दवा खाने की छूट होती है।
रमजान में तीन अशरे
रमजान के महीने में 3 अशरे होते है। पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है।
ऐसा माना जाता है कि रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा था कि रमजान की शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम की आग से बचाव है।