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    -सीमा कुमारी

    हिंदू धर्म में ‘पितृपक्ष’ का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के दौरान 16 दिनों तक पितरों को याद किया जाता है और उनके आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण आदि किया जाता है। मान्यता है कि पितर यमलोक से धरती पर अपने परिवार के लोगों से मिलने आते हैं। ‘पितृपक्ष’ के दौरान पड़ने वाली तिथियों को आभास होता है कि पितर हमारे आसपास ही हैं,  जिससे उनके साथ बिताया हुआ हर पल जहन में आ जाता है।

    कई लोगों को तो पितरों के सपने भी आते हैं, जो कि बहुत सामान्य है। ‘पितृपक्ष’ हर साल भाद्रपद के महीने में आता है, जिसमें पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। ये पूर्वजों को ये बताना का एक तरीका है कि वो अभी भी परिवार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वेद और पुराणों के अनुसार, ‘पितृपक्ष’ में पूर्वजों का आशीर्वाद लिया जाता है और गलतियों के लिए क्षमा भी मांगी जाती है।

    पुराणों के मुताबिक, ‘पितृपक्ष’ के अनुष्ठानों के दौरान कोई भी गलती पूर्वजों को नाराज कर सकती है, जो ‘पितृ-दोष’ का कारण बन सकती है। ऐसे में इस दौरान कुछ कामों से बचना चाहिए। आइए जानें इस बारे में –

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘पितृपक्ष’ की अवधि को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान कुछ भी नया शुरू न करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान परिवार के सदस्यों को कुछ भी नया नहीं  खरीदना चाहिए। इस दौरान अगर कोई खुशखबरी मिलती है, तो इसका उत्सव ‘पितृपक्ष’ के बाद मनाना चाहिए।

    हिंदू धर्म में प्याज और लहसुन को ‘तामसिक’ माना जाता है, जो हमारी इंद्रियों को प्रभावित करती है। ‘पितृपक्ष’ की अवधि के दौरान खाने में प्याज-लहसुन  का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

    इन 16 दिनों की अवधि में परिवार के सदस्यों को नाखून काटने, बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने से बचना चाहिए। इसके अलावा इन दिनों शारीरिक संबंध बनाने से भी बचना चाहिए। मन और विचारों की अशुद्धता पूर्वजों को नाराज कर सकती है।

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, ‘पितृपक्ष’ का समय पूर्वजों को समर्पित है, इसलिए इस अवधि में शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए। इस नियम का पालन न करने से पूर्वज की आत्मा नाराज हो सकती हैं। आपको जीवन में अचानक कई कठिनाइयों और असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

    ‘पितृपक्ष’ के दौरान कोई भी जश्न या उत्सव नहीं मनाना चाहिए और न ही इसका हिस्सा बनना चाहिए। अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को अपने मन को एकाग्र रखना चाहिए। इस अवधि में किसी भी तरह का जश्न मनाने से आपके पूर्वजों के प्रति आपकी श्रद्धा प्रभावित होती है।