
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘महावीर जयंती’ (Mahavir Jayanti) जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व है। इस साल यह जयंती 4 अप्रैल को पूरे देश में मनाई जाएगी। इस पर्व को जैन समाज के लोग बड़े उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। भगवान महावीर को वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है और इनके द्वारा ही जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना की गई थी। आइए जानें महावीर जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त एवं जैन धर्म के मूल सिद्धांत क्या हैं।
तिथि व मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के 13वें दिन अर्थात, चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि पर महावीर जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 3 अप्रैल 2023 को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ होगी जोकि 4 अप्रैल 2023 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।
भगवान महावीर के 5 मूलभूत सिद्धांत
अहिंसा
भगवान महावीर का पहला सिद्धांत है, अहिंसा, इस सिद्धांत में उन्होंने जैनों लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है। उन्होंने बताया कि भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
सत्य
भगवान महावीर का दूसरा सिद्धांत है, सत्य। भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ. जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता हैं। यही वजह है कि उन्होंने लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए प्रेरित किया।
अस्तेय
भगवान महावीर का तीसरा सिद्धांत है, अस्तेय। अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं। ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं और सिर्फ वही वस्तु लेते हैं जो उन्हें दी जाती हैं।
ब्रह्मचर्य
भगवान महावीर का चौथा सिद्धांत है, ब्रह्मचर्य। इस सिद्धांत को ग्रहण करने के लिए जैन व्यक्तियों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है। जिसके अंतर्गत वो कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते हैं।
अपरिग्रह
पांचवा अंतिम सिद्धांत है- अपरिग्रह। यह शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है। माना जाता है कि अपरिग्रह का पालन करने से जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं।