
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘नृसिंह सिंह जयंती’ वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह जयंती 14 मई शनिवार को है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह (नृसिंह) के रूप में अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने अवतार लिया था और इस संसार में धर्म की स्थापना के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था। इसलिए, आज पूरे देश में बहुत उत्साह के साथ नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु आधे शेर और आधे मानव के रूप में अवतार लिया था। नरसिंह अवतार में उनका चेहरा और पंजे सिंह की तरह थे और शरीर का बाकी हिस्सा मानव की तरह था। आइए जानें नरसिंह जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में-
तिथि
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 14 मई 2022, शनिवार दोपहर 03:23 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 15 मई 2022, रविवार दोपहर 12:46 बजे
पूजा-मुहूर्त
‘नरसिंह जयंती’ मध्याह्न संकल्प का शुभ समय:
प्रातः 10:57 से दोपहर 01: 40 तक
नरसिंह जयंती सायंकाल पूजा समय: सायं 04: 22 से 07:05 तक ।
इन मुहूर्त काल में की गई पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पूजा-विधि
ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान करके नए वस्त्रों को धारण करें।
पूजन से पूर्व पूजा स्थल को साफ करें और विधिवत मूर्तियों या तस्वीरों की स्थापना करें।
जयंती के इस दिन नरसिंह जी के साथ साथ लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है।
पूजा के समय और दिन के समय भी भगवान नरसिंह जी की आराधना करें।
पूजा के बाद देवताओं को नारियल, मिठाई, केसर और फलों का भोग लगाएं।
नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह का व्रत सूर्योदय के समय आरंभ होकर सूर्योदय पर ही समाप्त हो जाता है।
इस व्रत में अनाज का सेवन निषेध है।
शाम की पूजा के उपरांत तिल, भोजन और वस्त्र का दान करें। इससे पुण्य प्राप्त होता है।
महिमा
वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर विष्णुजी के चौथे अवतार के रूप में भगवान नृसिंह पूजा की जाती है साथ ही इस दिन व्रत और उपवास भी किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले को भगवान की पूजा के साथ ही श्रद्धा के हिसाब से अन्न, जल, तिल, कपड़े या लोगों की जरूरत के हिसाब से चीजों का दान देना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले के हर तरह के दुख खत्म हो जाते हैं। दुश्मनों पर जीत मिलती है और मनोकामना भी पूरी होती है।