इस दिन है 2021 का अंतिम ‘शुक्र प्रदोष’ व्रत, जानें सही समय, पूजा- विधि और महिमा

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: सनातन हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव और माता पार्वती की साधना अत्यंत ही कल्याणकारी एवं मनवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता हैं। यही कारण है कि, भगवान शिव के साधक उनकी और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से प्रदोष व्रत रखते हैं। साल 2021 का अंतिम ‘प्रदोष व्रत’ 31 दिसंबर, शुक्रवार के दिन पड़ रहा हैं। इसलिए इसे ‘शुक्र प्रदोष’ व्रत कहा जाएगा।

    मान्यता है कि, ‘शुक्र प्रदोष व्रत’ करने से शुक्र ग्रह से संबंधित लाभ मिलते हैं। शुक्र के प्रभाव के धन-संपत्ति, ऐश्वर्य में वृद्धि होगी। आइए जानें इस व्रत के लाभ और पूजा-विधि –

    शुभ मुहूर्त

    तिथि: 31 दिसंबर, 2021, शुक्रवार

     पौष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ:  

    31 दिसंबर 2021, प्रात: 10:39 बजे से

     पौष, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त:

    1 जनवरी 2022, प्रातः 07:17  तक

     प्रदोष काल

    31 दिसंबर 2021, सायं 05:35  से  रात्रि 08:19 मिनट तक।

    पूजा-विधि

    सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

    स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

    घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

    अगर संभव है तो व्रत करें।

    भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

    भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।

    इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

    भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

    साल का अंतिम ‘प्रदोष व्रत’ शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे ‘शुक्र प्रदोष व्रत’ कहते हैं। मान्यता है कि ‘शुक्र प्रदोष व्रत’ को करने पर व्यक्ति को सौभाग्यशाली होने का वरदान प्राप्त होता है। उसे जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रहता है और उसके परिवार में हमेशा सुख और समृद्धि कायम रहती है। प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि, आजीवन आरोग्यता और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है, कार्य विशेष में सफलता प्राप्त होती है।