Today is the second 'Pradosh Vrat' of Marshish, worship in this Muhurta with this method, Bholenath will be pleased

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: 19 मार्च, रविवार को मार्च महीने का दूसरा ‘प्रदोष व्रत'(Pradosh Vrat) है। पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है। एक महीने में दो बार त्रयोदशी आती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में।

सनातन धर्म में रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को ‘रवि प्रदोष व्रत’ के नाम से जाना जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। आइए जानें प्रदोष व्रत की तिथि, मुहूर्त और महत्व

तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार भगवान शिव के लिए शुभ मानी जाने वाली त्रयोदशी तिथि 19 मार्च 2023 को प्रात:काल 8:07 बजे से प्रारंभ होकर 20 मार्च 2023 को प्रात:काल 4:55 बजे तक रहेगी। पंचांग के अनुसार महादेव की साधना के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाने वाला प्रदोष काल 19 मार्च 2023 को सायंकाल 6:31 से रात्रि 8:54 बजे तक रहेगा।

पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें। शिव पूजन के साथ प्रदोष व्रत का संकल्प लें और व्रत का पालन करें।

शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और बेल पत्र और फूलों से सुसज्जित करें।

शवलिंग पर सफ़ेद फूल चढ़ाएं लेकिन भूलकर भी केतकी का फूल न चढ़ाएं।

पूरे दिन भगवान शिव का पूजन करें और साफ़ मन से व्रत का पालन करें।

प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शंकर की पूजा में ‘ऊं नम: शिवाय:’ मंत्र  का 108 बार जाप करें।

इसके बाद भगवान शिव की बेल पत्र,(शिवलिंग पर ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र) गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि समर्पित करें।

प्रदोष काल में एक बार पुनः स्नान करें और भगवान शिव को चंदन लगाकर विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें और पढ़ें।

धार्मिक महत्व

धर्म-ग्रंथ एवं वेद-पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव अपने भक्तों से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा-पाठ करने से और व्रत का पालन करने से साधक के सभी पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही कई प्रकार के ग्रह दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इस दिन विधिवत भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।