नवरात्र के पांचवें दिन है मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा, संतानप्राप्ति के लिए मां के इस रूप की करें विधिवत पूजा, जानिए विशेष मंत्र और पूजा विधि

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: आज 26 मार्च ‘चैत्र नवरात्रि’ 2023 का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता (Maa Skandmata) की उपासना की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।

इस दिन स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन मे सुख और शांति आती हैं। स्कंदमाता मोक्ष प्रदान करने वाली देवी हैं। माता का स्वरूप, स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं।

इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। माना जाता है कि स्कंदमाता अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। वहीं, नि:संतान को माता के आर्शीवाद से संतान प्राप्ति होती है। आइए जानें, मां स्कंदमाता की महिमा, मंत्र और देवी की उपासना के लाभ।

पूजा विधि

सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद हरे रंग के वस्त्र पहने और देवी को हरी चूड़ी, हरी साड़ी, मेहंदी, सिंदूर, रौली, अक्षत अर्पित करें। इस दिन हरी चुनरी में नारियल रखकर, नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी” इस मंत्र का 108 बार जाप करें और नारियल को बांधकर हमेशा अपने सिरहाने रखें। मान्यता है इससे सूनी गोद जल्द हरी-भरी हो जाती है, अर्थात संतान सुख के योग बनते हैं।

मां स्कंदमाता का भोग अति प्रिय है। मान्यता है कि देवी को पूजा में केले का नेवैद्य लगान से स्वास्थ लाभ मिलता और संतान प्राप्ति होती हैं। ऊं स्कंदमात्रै नम: मंत्र बोलते हुए मां को भोग लगाएं इससे प्रार्थना जल्द स्वीकार होगी।

देवी स्कंदमाता को भी पीले रंग का फूल पसंद हैं। देवी की पूजा करने से स्वंय भगवान कार्तिकेय की उपासना भी हो जाती है। स्कंद देव यानी भगवान कार्तिकेय को देवों का सेनापति माना जाता हैं। इनकी पूजा से व्रती को मनचाहा फल मिलता है।

महिमा

मां स्कंदमाता का निवास पहाड़ों पर माना जाता हैं। सिंह पर सवार मां स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। देवी की चार भुजाएं हैं जिनमें कमल सुशोभित है और एक हाथ वरदमुद्रा में हैं। देवी स्कंदमाता26 सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं, इसलिए इनके चारों ओर सूर्य सा तेज दिखाई देता है। इन्हें ‘पद्मासना देवी’ भी कहते हैं।

मां स्कंदमाता मंत्र

बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

ध्यान मंत्र

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

पूजा मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।