-सीमा कुमारी
हिन्दू धर्म में व्रत एवं त्योहार का अपना अलग ही महत्व होता है। ऐसे में हर दिन, किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। मान्यता है कि उस दिन उसी भगवान की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसी तरह से रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं। हिन्दू धर्म में रविवार को सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, अगर रविवार के दिन व्रत किया जाए और सच्चे मन से अराधना की जाए तो व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है। तो आइए जानते हैं कि कितने रविवार व्रत करना चाहिए और क्यों करना चाहिए…
शास्त्रों के अनुसार, सूर्यदेव् का व्रत करने से काया निरोगी तो होती ही है। साथ ही अशुभ फल भी शुभ फल में बदल जाते हैं। अगर इस दिन व्रत कथा सुनी जाए तो इससे मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है।इसकेअलावा, अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो उसे रविवार व्रत अवश्य करना चाहिए।
व्रत करने की विधि
इस व्रत को करने से पहले ये संकल्प लेना जरूरी है कि कितने रविवार ये व्रत किया जाएगा। इसके बाद आने वाले रविवार से इसे शुरू कर सकते हैं। रविवार सुबह लाल रंग के कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल, लाल चंदन, अक्षत, लाल पुष्प और दुर्वा से अर्घ्य देकर पूजन करें।
भोजन सूर्यास्त के बाद ही करें और इसमें गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही और घी का उपयोग अवश्य करें। भोजन में आप इस दिन नमक का प्रयोग ऊपर से न करें और सूर्यास्त के बाद नमक भूलकर भी न खाएं। इस दिन चावल में दूध और गुड़ मिलाकर खाने से सूर्य के बुरे प्रभाव आप पर नहीं पड़ते हैं।