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    – सीमा कुमारी

    ‘योगिनी एकादशी’ (Yogini Ekadashi Vrat) का पावन व्रत इस साल 24 जून, शुक्रवार को हैं। भगवान विष्णु को समर्पित ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

    पंचांग के अनुसार ,यह हर साल आषाढ़  के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से किसी के दिए गए श्रापों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानें ‘योगिनी एकादशी’ कब है, व्रत-पूजा की विधि क्या है और इसका महत्व क्या है ?

    तिथि और समय

    हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक साल 2022 में ‘योगिनी एकादशी’ 24 जून, दिन शुक्रवार को है। एकादशी तिथि (Yogini Ekadashi) की शुरूआत 23 जून को रात 9 बजकर 41 मिनट से हो जाएगी। वही एकादशी तिथि की समाप्ति 24 जून को रात 11 बजकर 12 मिनट पर होगी। ‘योगिनी एकादशी’ व्रत का पारण आप 25 जून को सुबह 5 बजकर 41 मिनट के बाद और 8 बजकर 12 मिनट से बीच कर सकते है। पारण तिथि के दिन हरि वासरा समाप्त होने का समय सुबह 5 बजकर 41 मिनट है।

    पूजा-विधि

    • ‘योगिनी एकादशी’ के दिन आप सूर्योदय से पहले उठे उठकर स्नान करें।
    • स्वच्छ वस्त्र धारण करके गंगाजल से भगवान विष्णु की मूर्ति का स्नान कराएं।
    • फिर भगवान विष्णु का नाम का जाप शुरू करें।
    • पूजा के अंत में अपने और अपने परिवार की सलामती के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करें। भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा हमेशा पीला फूल और पीला मिठाई से करें। ऐसी मान्यता है, कि भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत ही प्रिय है।
    • तुलसी के पत्ते से भगवान विष्णु की पूजा करने से प्रभु बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। इसलिए आप पहले से ही तुलसी का पत्ता तोड़ कर पूजा की थाली में रख लें।
    • ‘योगिनी एकादशी’ के दिन पीपल के पेड़ में भगवान भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए  इस दिन पीपल की पेड़ की पूजा अवश्य करें।
    • पूजा में भगवान की आरती और भजन करते रहें।
    • व्रत के अगले दिन भगवान की पूजा करने के बाद ही पारण करें।

    महत्व

    मान्यतानुसार, ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है।