मां दुर्गा का आशीष पाने के लिए नवरात्र के नौ दिनों में रंगों का रखें विशेष ध्यान, हर रंग का अलग महत्व, ज़रूर जानें

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: पंचांग के अनुसार, हर चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023, बुधवार के दिन से होगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि माता भगवती की उपासना के लिए श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि में नव का अर्थ है नया और रात्रि का अर्थ है- यज्ञ-अनुष्ठान, अर्थात नया अनुष्ठान। शक्ति के नौ रूपों की आराधना नौ अलग-अलग दिनों में करने के क्रम को ही नवरात्रि कहते हैं।

जो जीवात्मा, भूताकाश, चित्ताकाश और चिदाकाश में सर्वव्यापी है, वही मां ब्रह्म शक्ति है। पूजा-पाठ कलश स्थापना, मां दुर्गा के श्रृंगार के अलावा इन नौ दिनों में आप अलग-अलग देवियों के रूप के अनुरूप वस्त्र पहनकर पूजा के फल में वृद्धि कर सकते हैं। ध्यान रहे देवी की पूजा में गंदे और फटे हुए वस्त्र भूलकर भी न पहनें। आइए जानें नवरात्रि में रंगों का महत्व और मां भगवती के नौ स्वरूपों से इनका संबंध।

चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन ‘माता शैलपुत्री’ की उपासना की जाती है। इस दिन माता की पूजा के समय साधक को नारंगी, गुलाबी, लाल या रानी रंग के कपड़े पहने चाहिए। ऐसा करने से साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

नवरात्र के दूसरे दिन स्वरूप से पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य ‘माता ब्रह्मचारिणी’ की उपासना करते समय सफ़ेद, क्रीम या पीले रंग के कपड़े पहनना अति शुभ माना गया है, इससे साधक की मेधा शक्ति विकसित होती है एवं समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं।

चैत्र नवरात्रि के तृतीया तिथि के दिन ‘माता चंद्रघंटा’ की पूजा की जाती है। इस दिन साधक को दूधिया, केसरिया, लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनकर माता की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें आरोग्य और सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ‘मां कुष्मांडा’ की उपासना का विधान है। मां कुष्मांडा प्रकृति की देवी हैं। इसलिए इस दिन साधक हरा, पीला, भूरा या क्रीम रंग के वस्त्र पहनकर ही उनकी पूजा करें।

भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को ‘स्कंदमाता’ के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना सफेद, दूधियां, लाल या हरे रंग के वस्त्र पहनकर करने पर साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती है उसे संतान सुख, आरोग्य तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि पर्व के छठे दिन महिषासुर मर्दिनी ‘देवी कात्यायनी’ की पूजा की जाती है। इस दिन साधकों को नारंगी, गेरुआ, लाल, मेहरून, गुलाबी या मूंगा रंग के वस्त्र पहनकर उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से गृहस्थ जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधकों को लाभ मिलता है।

दुर्गा पूजा के सातवें दिन तमाम आसुरी शक्तियों का विनाश  करने वाली देवी ‘मां कालरात्रि’ की पूजा का विधान है। नवरात्र की पूजा में तंत्र साधना करने वाले लोग इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। इनकी पूजा में बैंगनी,स्लेटी,नीला एवं आसमानी रंग के वस्त्र धारण करने से मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी क्लेशों को दूर कर उन्हें सुख-शांति प्रदान करती हैं।

चैत्र मास की अष्टमी तिथि को माता महागौरी की उपासना की जाती है। मां महागौरी को सफेद रंग सर्वाधिक प्रिय है। इस दिन उनकी पूजा करते समय साधक संत्री, लाल, गुलाबी या केसरिया रंग के वस्त्र धारण करें।

नवीं शक्ति सभी सिद्धियां देने वाली हैं। इस दिन विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधकों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। इनकी पूजा-उपासना करते समय साधक यदि लाल, गुलाबी, क्रीम, नारंगी रंग के वस्त्र पहने तो पूजा के फल में वृद्धि होती है एवं भक्त को यश,बल, कीर्ति की प्राप्ति होती है।