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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: इस वर्ष अश्विन माह की ‘विनायक चतुर्थी’ (Vinayak Chaturthi) 29 सितंबर, गुरुवार यानी आज है। नवरात्रि का पर्व चल रहा है। विनायक चतुर्थी के दिन ही ‘मां कुष्मांडा’ की पूजा भी की जाएगी। इस बार अश्विन विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) बहुत शुभ मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन रवि योग का संयोग बन रहा है। मान्यता है कि, इस दिन गणेश जी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानें ‘आश्विन विनायक चतुर्थी’ का मुहूर्त, योग और महत्व –

    शुभ मुहूर्त

    आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ-

    29 सितंबर को सुबह 1 बजकर 28 मिनट तक

    आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त-

    30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक

    चंद्रोदय का समय- सुबह 9 बजकर 22 मिनट का

    चन्द्रास्त का समय- रात 8 बजकर 23 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

    रवि योग- सुबह 6 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 13 मिनट तक

    पूजन-विधि

    चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नानादि करके लाल या पीले वस्त्र धारण कर लें।

    अब पूजा स्थल पर या फिर एक लकड़ी की चौकी में पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर लें।

    भगवान गणेश को पुष्प से जल चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं।

    अब उन्हें अति प्रिय चीज दूर्वा, फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें।

    घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।

    अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

    फिर, प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें। पारण के दिन सुबह पुनः भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने का प्रावधान है।

    महिमा

    चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को अति प्रिय है। मान्यता है कि, विनायक चतुर्थी पर गणपति के सिद्धि विनायक रूप की पूजा करने से बुद्धि, सिद्धि, ज्ञान और ऐश्वर्य का आशीष मिलता है। परिवार में खुशहाली आती है। पंचदेवों में गणपति को प्रथम पूजनीय माना गया है। गणेश जी भक्तों की तरक्की की राह में आने वाले हर विघ्न हर लेते हैं, इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।