आज है ‘बसंत पंचमी’ जानिए इस दिन क्या है कामदेव की पूजा का रहस्य, यह है मुख्य कारण

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: हिंदू धर्म में माघ महीने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। क्योंकि, इस महीने में कई महत्वपूर्ण पर्व और ‘बसंत पंचमी’ जैसे प्रमुख व पावन त्योहार पड़ते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसीलिए समूचे भारत में इस दिन ‘देवी सरस्वती’ के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है।

    ‘वसंत पंचमी’के दिन उनसे विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान भी मांगा जाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि, ‘वसंत पंचमी’bके दिन सिर्फ मां सरस्वती ही नहीं बल्कि प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानें वजह –

    मान्यताओं के मुताबिक, ‘बसंत पंचमी’ के दिन कामदेव की पूजा करने की परंपरा है। शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का स्वामी माना गया है। मान्यता है कि, अगर ये नहीं हों, तो सृष्टि की उन्नति रुक जाएगी। साथ ही, प्राणियों में प्रेम भावना खत्म हो जाएगी। यही कारण है कि कामदेव को विशेष स्थान प्राप्त है।

    बसंत पंचमी को क्यों होती है ‘कामदेव’ की पूजा

    शास्त्रों की मानें तो ‘बसंत ऋतु’ का संबंध कामदेव से होता है। बसंत ऋतु का आगमन के साथ ही मौसम भी सुहाना होने लगता है। प्रकृति में एक अलग प्रकार का सौंदर्य नजर आने लगता है। मनुष्य के साथ-साथ अन्य प्राणी भी खुश दिखाई देते हैं।

    इसी के साथ-साथ हर्षोल्लास का वातावरण बन जाता है। इसी कारण से प्रेम की दृष्टि से भी यह मौसम अनुकूल हो जाता है। पौराणिक मान्यताओं की माने तो कामदेव मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र माने जाते हैं। इनकी शादी देवी रति से करवाई गई थी। देवी रति आकर्षण और प्रेम की देवी मानी जाती है। लेकिन कुछ कथाओं में कामदेव को ब्रह्मा जी का पुत्र भी बताया गया है।

    पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कामदेव ने एक बार भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। जिस कारण शिव का मन चंचल हो गया। भगवान शिव को जब सत्य की जानकारी हुई, तो उन्होंने अपने क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया। जिसे जानकर कामदेव की पत्नी रति विलाप करने लगीं। कहते हैं कि, रति की विनती पर भगवान शिव ने कामदेव को भाव रूप में प्रकृति में वास करने का वरदान दिया।