आज है दशहरा, इस बार बन रहे तीन शुभ योग, जानें पूजा विधि

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    नई दिल्ली : आज दशहरा का शुभ पर्व है। हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा होता है। यह त्यौहार हमारे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस साल दशहरे पर तीन शुभ योग बन रहे हैं।

    दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। प्रभु श्री राम के हाथों रावण का वध होने के बाद से ही इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था, इसलिए भी इसे विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि शुभ मुहूर्त में पूजा करने से जातकों को लाभ मिलेगा। 

    तीन शुभ योग का समय

    खास बात ये है कि दशहरा पर इस बार तीन शुभ योग बन रहे हैं। 

    रवि योग

    14 अक्टूबर को शाम 9 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगा, जो 16 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। 

    सर्वार्थ सिद्ध योग

    15 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 9 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। 

    कुमार योग

    यह योग सुबह सूर्योदय से 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। 

    तीन शुभ योग एक साथ बनने से दशहरा पर पूजन सभी जातकों के लिए अत्यंत शुभ रहेगा। 

    होगा लाभ

    इस पावन दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए। मां दुर्गा के पूजन से मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली विषमताएं, परेशानियां, कष्ट और दरिद्रता का नाश होता है और विजय प्राप्त होती है।  

    भगवान श्रीराम की पूजा करने से धर्म के मार्ग पर चलने वालों को विजय प्राप्त होती है, इसकी प्रेरणा मिलती है। साथ ही इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है। 

    जानें पूजा विधि

    1. दशहरे के इस दिन चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाकर उस पर भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। 

    2. इसके बाद हल्दी से चावल पीले करने के बाद स्वास्तिक के रूप में गणेश जी को स्थापित करें। नवग्रहों की स्थापना करें।

    3. अपने इष्ट की आराधना करें इष्ट को स्थान दें और लाल पुष्पों से पूजा करें, गुड़ के बने पकवानों से भोग लगाएं।

    4. इसके बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें और गरीबों को भोजन कराएं। 

    5. धर्म ध्वजा के रूप में विजय पताका अपने पूजा स्थान पर लगाएं।

    6.  ये विजय दशमी का पर्व प्रेरणा देता है, कि हमें अधर्म, अनीति के खिलाफ लड़ना है।