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    -सीमा कुमारी

    इस साल ज्येष्ठ मास की चतुर्थी तिथि यानी ‘एकदंत संकष्टी चतुर्थी’ (Ekdanta Sankashti Chaturthi) 19 मई दिन गुरुवार को है। हिंदू धर्म में इस तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। यह तिथि प्रथम पूजनीय देव गणेश जी को समर्पित होती है। इस पावन दिन गणेश भगवान की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन गणेश भगवान की पूजा करने से सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं और भगवान गणेश का आर्शीवाद प्राप्त होता है। आइए जानें ‘एकदंत संकष्टी चतुर्थी’ की पूजा-विधि, महत्व और इसका शुभ मुहूर्त –

    शुभ मुहूर्त

    ज्येष्ठ मास की संकष्टी चतुर्थी 19 मई, बृहस्पतिवार के दिन पड़ रही है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 मई, बुधवार को रात 11 बजकर 36 मिनट से हो रही है। जबकि चतुर्थी तिथि का समापन 19 मई को रात 8 बजकर 23 मिनट पर होगा। वहीं चंद्रोदय रात 10 बजकर 56 मिनट पर होगा।

    पूजा-विधि

    • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
    • गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
    • भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
    • भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
    • भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
    • भगवान गणेश का ध्यान करें।
    • गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
    • इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है।
    • शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।
    • भगवान गणेश की आरती जरूर करें।

    महत्व

    संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से संकट दूर होते हैं। जीवन सुखमय और खुशहाल होता है। उनके कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं, बाधाएं दूर होती हैं। गणेश जी के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।