आज है ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’, पर व्रत और स्नान-दान के दिन हैं अलग, इस पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा की महिमा जानिए

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: इस साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा 3 जून, शनिवार को है। सनातन धर्म में ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में जाना जाता है, जो हर साल ज्येष्ठ महीने में मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि वैशाख पूर्णिमा, कामिका पूर्णिमा और अनुष्ठान पूर्णिमा आदि।

‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ को व्रत भी रखा जाता है और सत्यनारायण भगवान तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा को स्नान और दान का भी काफी महत्व है और ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती हैं। ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ की रात माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। हालांकि इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत और ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान दान की तारीखें अलग-अलग है। पहले ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ का व्रत रखा जाएगा और अगले दिन सुबह ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ का स्नान और दान होगा। आइए जानें ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ की तिथि, व्रत पूजा मुहूर्त, स्नान-दान का समय आदि-

शुभ मुहूर्त

‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ 3 जून 2023, शनिवार

‘पूर्णिमा तिथि’ प्रारम् 3 जून 2023 को 11ः16 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त 4 जून 2023 को 9ः11 बजे तक

इस साल ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत’ 3 जून को रखा जाएगा। पूर्णिमा का व्रत चंद्रव्यापनी पूर्णिमा तिथि में रखते हैं। इसका अर्थ है कि पूर्णिमा तिथि में जिस रात चंद्रमा होगा, उस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा का चंद्रमा 3 जून को प्राप्त हो रहा है, इसलिए व्रत भी 3 जून को होगा।

3 शुभ योग में है ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ व्रत

3 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग बन रहे हैं। रवि योग सुबह 5:23 बजे से सुबह 6:16 बजे तक है। शिव योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 2:48 बजे तक है, उसके बाद से सिद्ध योग प्रारंभ हो जाएगा।

‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ व्रत के दिन चंद्रमा का उदय शाम 6 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस समय से चंद्रमा की पूजा कर सकते हैं और अर्घ्य दे सकते हैं।  

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2023 भद्रा समय

3 जून को व्रत वाले दिन स्वर्ग की भद्रा लग रही है। यह सुबह 11 बजकर 16 मिनट से रात 10 बजकर 17 मिनट तक है। इस भद्रा का वास स्वर्ग में है।  

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 स्नान-दान

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान और दान पूर्णिमा की उदयातिथि में होगा। ज्येष्ठ पूर्णिमा की उदयातिथि 4 जून को प्राप्त है, इसलिए ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ का स्नान और दान 4 जून को होगा। इस दिन साध्य और सिद्ध योग बन रहे हैं। सुबह 11 बजकर 59 मिनट तक सिद्ध योग है और उसके बाद से साध्य योग लग जाएगा।

महत्व

सनातन धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का बड़ा महत्व है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखने से चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी पूजा से चंद्र दोष दूर होता है। सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से घर में सुख और शांति आती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से पाप मिटते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।