आज है ज्येष्ठ पूर्णिमा, जानें व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त

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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तथा अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, हर महीने की अंतिम तिथि पूर्णिमा की होती है। ऐसे में इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आकार में होता है, इसलिए इस दिन पूजा एवं व्रत करना बहुत ही शुभ एवं फलदायी माना जाता है।

    इस साल जेठ महीने की पूर्णिमा तिथि 24 जून,यानी आज गुरुवार को है। इसके बाद आषाढ़ महीना शुरू हो जाएगा। हिंदू मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना बहुत शुभ एवं फलदायी होता है। इसके अलावा, पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर चंद्रमा और भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है।

    इस दिन दान-पुण्य का कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस बार ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ पर एक शुभ संयोग बन रहा है, जिसके कारण इस पूर्णिमा का महत्व और भी ज्यादा है। आइए जानें ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ पर क्या शुभ संयोग बन रहा है और क्या है शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि:

    ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ के दिन बन रहा ये शुभ संयोग-

    इस वर्ष ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ गुरुवार के दिन पड़ रही है। जहां गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, तो वहीं पूर्णिमा तिथि भी विष्णु जी की पूजा आराधना करने के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दिन शुभ, शुक्ल योग भी हैं जो ज्योतिष शास्त्र में शुभ योगों में गिने जाते हैं। 24  जून सुबह 06 बजकर 06 मिनट तक शुभ योग रहेगा इसके बाद शुक्ल योग आरंभ हो जाएगा।

    शुभ मुहूर्त (Date of Purnima in June 2021)

    ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत: 24 जून 2021, गुरुवार

    पूर्णिमा की तिथि का आरंभ:

    24 जून, गुरुवार को को प्रात: 03 बजकर 32 मिनट से

    ज्येष्ठ पूर्णिमा का समापन:  25 जून, शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त

    पूजा विधि:

    ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है। लेकिन, इस समय कोरोना महामारी के चलते घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना सही रहेगा।प्रातः जल्दी स्नान आदि से निवृत होने के बाद, भगवान का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। 

    अब मंदिर में धूप-दीप प्रज्जवलित करें और अक्षत, रोली फल, फूल से पूजा करें।

    इसके बाद पूरे दिन व्रत रखें शाम के समय पुनः भगवान विष्णु का पूजन करें।

    पूजन के लिए सूजी या गेहूं के आटे को भूनकर सूखा प्रसाद बनाएं, साथ ही में पंचामृत भी बनाएं।

    विधिवत मां लक्ष्मी और विष्णु जी का पूजन करें एवं चंद्र दर्शन पूजन करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।

    चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात प्रसाद खाकर व्रत खोलें और तत्पश्चात भोजन करें।

    महत्व:

    पूर्णिमा तिथि पर दान और पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है। इस दिन चंद्र पूजा और व्रत करने से चंद्रमा मजबूत होता है। जिससे आपकी मानसिक और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। भगवान विष्णु की पूजा करने से दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखकर विधिवत विष्णु जी का पूजन करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह तिथि मां लक्ष्मी को भी अत्यंत प्रिय होती है, इसलिए इस दिन श्री हरि के साथ लक्ष्मी पूजन करने से दरिद्रता का नाश होता है।