-सीमा कुमारी
कजरी तीज’ का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। यह त्योहार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है। इस साल ‘कजरी तीज’ (Kajari Teej) का व्रत आज यानी 14 अगस्त, रविवार को रखा जाएगा।
पारंपरिक तौर पर इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती और नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। आस्था ये है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की आयु लंबी होती है। आइए जानें, इस साल ‘कजरी तीज’ का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और इसकी महिमा –
कजरी तीज’ की तिथि
‘कजरी तीज’ हर साल भाद्रपद मास (भादो के महीने) के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह व्रत 14 अगस्त, रविवार के दिन रखा जाएगा। साथ ही तृतीया तिथि का आरंभ 13 अगस्त को देर रात 12 बजकर 53 मिनट से हो रहा है। वहीं, तृतीया तिथि की समाप्ति 14 अगस्त, रविवार रात 10 बजकर 35 मिनट पर हो रही है।
कजरी तीज’ की पूजा-विधि
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ‘कजरी तीज’ के दिन मां पार्वती, भगवान शिव और नीमड़ी माता की पूजा का विधान है। ऐसे में इनकी पूजा के लिए इस दिन सुबह स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके नीमड़ी माता, मां पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प किया जाता है। उसके घर में उचित स्थान का चयन करके मिट्टी से एक तालाबनुमा घेरा बना लिया जाता है।
उसके बाद उसमें कच्चा दूध या जल भरकर उसके किनारे एक दीपक जला लिया जाता है। फिर थाल में केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत, रोली इत्यादि पूजन सामग्रियां रखी जाती हैं। मिट्टी के घेरे के किनारे पर नीम का पत्ता और नीम की टहनी लगाई जाती है। फिर उस पर चन्नी ओढ़ाई जाती है। उसके बाद नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है।
मान्यता है कि ‘करवा चौथ’ की तरह रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति देव के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है। इसके बाद नीमड़ी माता को भोग लगाकर व्रत का पारण किया जाता है।
‘कजरी तीज’ की महिमा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ‘कजरी तीज’ महिलाओं के लिए खास त्योहार है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। निर्जला व्रत के दौरान भगवान शिव, नीमड़ी माता और मां पर्वती की पूजा करते हुए उनसे मन ही मन पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है।