आज है में ‘कालाष्टमी’, भगवान शिव के इस रुद्रावतार की पूजा से शनिदोष का प्रभाव हो सकता है कम, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: भगवान शिव के रुद्रावतार भगवान काल भैरव को समर्पित ‘कालाष्टमी व्रत'(Masik Kalashtami 2023) हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार आषाढ़ महीने की ‘कालाष्टमी व्रत’ आज यानी 10 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा।

इस विशेष दिन पर भगवान शिव के रुद्रावतार भगवान काल भैरव की उपासना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान काल भैरव की उपासना करने से जीवन में आ रही सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधक को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानें आषाढ़ मास में कब रखा जाएगा ‘मासिक कालाष्टमी व्रत’।

तिथि

 पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 10 जून को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन अगले दिन 11 जून को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर हो जाएगा।

‘कालाष्टमी व्रत’ के दिन भगवान काल भैरव की उपासना रात्रि के समय की जाती है। ऐसे में यह व्रत 10 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर रवि योग का निर्माण हो रहा है जो सुबह 5 बजकर 23 मिनट से दोपहर 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

 पूजा विधि

‘कालाष्‍टमी’ के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा कालभैरव की पूजा की जाती है। सुबह स्‍नान के बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश भगवान की तस्वीर स्‍थापित करें। विधि-विधान से पूजा करें। भगवान शिव को सफेद और नीले फूल अर्पित करें। सफेद मिष्‍ठान का भोग लगाएं और फिर दीपक जलाकर आरती करें। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम के पहर में फलाहार कर सकते हैं। फिर आधी रात को धूप, काले तिल, दीपक, उड़द की दाल, सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा जरूर करें। ऐसा करने से शनि दोष का प्रभाव भी कम होता है।

उपाय

 शास्त्रों के अनुसार, ‘कालाष्टमी व्रत’ के दिन सुबह स्नान-दान आदि के बाद भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करें। उनके सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें। इसके साथ भगवान काल भैरव को जलेबी का भोग अवश्य लगाएं। ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। ‘कालाष्टमी व्रत’ के दिन भगवान काल भैरव के मंत्र का जाप 108 बार करने से भय और दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इसके साथ इस दिन काल भैरव भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।