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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिन्दू धर्म में ‘कन्या संक्रांति’ पर्व का बड़ा महत्व होता है। क्योंकि,इस दिन भगवान भास्कर यानी सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस साल ‘कन्या संक्रांति’ 17 सितंबर शुक्रवार को है। ‘कन्या संक्रांति’ (Kanya Sankranti) का पावन पर्व स्नान, दान आदि धार्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायनी एवं मनवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। क्योंकि, इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करना बहुत शुभ माना गया है।

    ‘कन्या संक्रांति’ के दिन ‘विश्वकर्मा’ पूजा भी की जाती है, जिससे इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, संक्रांति वह दिन है, जब सूर्य एक राशि का चक्र पूरा करके दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जब सूर्य, सिंह राशि से कन्या राशि (kanya sankranti 2021) में प्रवेश करता है, तो वह दिन ‘कन्या संक्रांति’ कहलाती है। ‘कन्या संक्रांति’ के दिन पूर्वजों के लिए कई प्रकार के दान, श्राद्ध पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। आइए जानें कन्या संक्रांति का शुभ मुहर्त और इसकी महिमा –

    शुभ-मुहूर्त

    ‘कन्या संक्रान्ति’  शुक्रवार, सितम्बर 17, 2021 को

    कन्या संक्रान्ति पुण्य काल – 06:07 सुबह से 12:15 मध्य रात्रि

    अवधि – 06 घण्टे 08 मिनट

    कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल – 06:07 सुबह से 08:10 सुबह तक

    अवधि – 02 घण्टे 03 मिनट

    कन्या संक्रान्ति का क्षण – 01:29 मध्य रात्रि

    महत्व

    हिन्दू धर्म में ‘कन्या संक्रांति’ का अपना अलग महत्व है, क्योंकि, इस दिन लोग स्नान, दान आदि करते हैं। इतना ही नहीं, इस दिन लोग अपने पितरों यानी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा आदि भी करवाते हैं। संक्रांति के दिन पवित्र जलाशयों आदि में स्नान करने को भी बहुत शुभ माना  जाता है। इसलिए लोग कोशिश करते हैं कि वे संक्रांति के दिन गंगा जी या किसी अन्य जलाशय में डुबकी जरूर लगाएं। इतना ही नहीं, इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी किया जाता है।

    यह त्योहार उड़ीसा और बंगाल के कई क्षेत्रों में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि अगर ‘कन्या संक्रांति’ के दिन पूरे विधि विधान के साथ सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाए तो जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ‘कन्या संक्रांति’ पर जरूरतमंद लोगों की सहायता अवश्य करें। सूर्यदेव बुध प्रधान कन्या राशि में जाएंगे। इस तरह कन्‍या राशि में बुध और सूर्य का मिलन होगा। इससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा।