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    नई दिल्ली : दशहरे के दिन पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इसे आश्विन शुक्ल एकादशी कहा जाता है। इस साल यह पापांकुशा एकादशी की तिथि आज यानी 16 अक्टूबर की है। इस दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाता है। आइये जानते है इसका शुभ मुहूर्त और कथा…. 

    आपको बता दें कि पापरुपी हाथी को व्रत के पुण्यरूपी अंकुश से भेदने के कारण ही इसका नाम पापांकुशा एकादशी हुआ है। इस दिन मौन रहकर भगवद स्मरण और भोजन का विधान किया जाता है। इस प्रकार भगवान की आराधना करने से मन शुद्ध होता है और व्यक्ति में सद्गुणों का समावेश होता है।

    पापांकुशा एकादशी 2021 मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2021 के शनिवार, 16 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत की तिथि पड़ रही है। इस एकादशी तिथि का प्रारंभ शुक्रवार, 15 अक्टूबर को 06:05 PM से होगा, जबकि इसका समापन शनिवार की 05:37 PM पर हो जाएगा। वहीं इस एकादशी व्रत के पारण का समय रविवार, 17 अक्टूबर को 06:28 AM से 08:45 AM तक रहेगा।

    इस दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा और ब्राह्मणों को उत्तम दान व दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन केवल फलाहार ही लिया जाता है। इससे शरीर स्वस्थ व हल्का रहता है। इस एकादशी के दिन व्रत रहने से भगवान समस्त पापों को नष्ट कर देते हैं। अर्थात यह एकादशी पापों का नाश करने वाली कही गई है।

    पापांकुशा एकादशी की कथा 

    प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक महाक्रूरी बहेलिया रहता था। उसने अपनी सारी जिंदगी, हिंसा, लूट-पाट, मद्यपान और मिथ्या भाषण आदि में व्यतीत कर दी। जब जीवन का अंतिम समय आया तब यमराज ने अपने दूतों को क्रोधन को लाने की आज्ञा दी। यमदूतों ने उसे बता दिया कि कल तेरा अंतिम दिन है।

    मृत्यु भय से भयभीत (आक्रांत) वह बहेलिया (क्रोधन) महर्षि अंगिरा की शरण में उनके आश्रम पहुंचा। महर्षि ने उसके अनुनय-विनय से प्रसन्न होकर उस पर कृपा करके उसे अगले दिन ही आने वाली आश्विन शुक्ल एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करने को कहा।

    इस प्रकार वह महापातकी व्याध पापांकुशा एकादशी का व्रत-पूजन कर भगवान की कृपा से विष्णु लोक को गया। उधर यमदूत इस चमत्कार को देखकर हाथ मलते रह गए और बिना क्रोधन के यमलोक वापस लौट गए।