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    -सीमा कुमारी

    प्रदोष का व्रत देवों के देव ‘महादेव जी’ को समर्पित है। ऐसे में यह व्रत हिन्दू भक्तों के लिए विशेष  महत्व रखता है।  कार्तिक महीने की ‘प्रदोष व्रत’ की बात करें तो,  पंचांग के अनुसार, यह 16 नवंबर, यानी, आज मंगलवार को है, इसलिए इसे ”भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।

    शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी को भगवान शिव का ही रूद्रावतार माना जाता है, इसलिए मान्यता है कि भौम प्रदोष का व्रत करने से हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति के मंगल ग्रह संबंधी दोष भी समाप्त हो जाते हैं। आइए जानें  भौम प्रदोष व्रत पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त…

    शुभ मुहूर्त

    कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 08:01 ए एम, नवम्बर 16

    कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 09:50 ए एम, नवम्बर 17

    प्रदोष काल

    05:27 पी एम से 08:07 पी एम

    अवधि- 02 घण्टे 40 मिनट

    पूजा विधि 

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
    • स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
    • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
    • अगर संभव है तो व्रत करें।
    • भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
    • भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
    • इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
    • भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
    • भगवान शिव की आरती करें।
    • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।