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    -सीमा कुमारी

    माघ महीने का ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) 30 जनवरी, रविवार को है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। सप्ताह के विभिन्न सात दिन को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अलग-अलग नाम से जाता जाता है। माघ महीने का पहला ‘प्रदोष व्रत’ रविवार को पड़ रहा है। इसलिए यह ‘रवि प्रदोष व्रत’ कहलाएगा।

    शास्त्रों और पुराणों में निहित है कि रविवार का ‘प्रदोष व्रत’ करने से आरोग्य जीवन व्यतीत होता है। भगवान शिव के आशीर्वाद से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। नीरोग जीवन प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान शिव अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं, उनको प्रसन्न करने के लिए ‘प्रदोष व्रत’ एक अच्छा अवसर है। आइए जानें कब है ‘प्रदोष व्रत’ और पूजा का मुहूर्त (Puja Muhurat) क्या है ?

    शुभ मुहूर्त

    हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी को रात्रि में 8 बजकर 37 मिनट पर शुरु होकर 30 जनवरी को दोपहर में 5 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ‘रवि प्रदोष व्रत’ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त संध्याकाल में 5 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर रात्रि में 8 बजकर 37 मिनट तक है। व्रती संध्याकाल में भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

    पूजा-विधि

    इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिवजी को स्मरण और प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। इसके पश्चचात, अंजिल में गंगाजल रख आचमन कर अपने आप को शुद्ध और पवित्र करें। फिर श्वेत और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें।

    फिर भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें। पूजा करते समय शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप अवश्य करें। अंत में आरती अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना करें। फिर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

    प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के दुख दूर होते हैं। असाध्य रोगों से भी छुटकारा मिलता है।  शिव-कृपा से संतान सुख भी प्राप्त होता है। सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।