Pradosh Vrat
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    -सीमा कुमारी

    ज्येष्ठ महीने की दूसरी ‘प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) 12 जून दिन रविवार को है। इसलिए इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) कहेंगे। ‘प्रदोष व्रत’ भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) सहित मां पार्वती (Maa Parvati) की पूजा की जाती है। मान्यता है कि, इनकी पूजा से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और संपूर्ण जीवन खुशहाल रहता है। इस बार का ‘रवि प्रदोष व्रत’ शिव और सिद्ध योग में होने के कारण अत्यंत ही फलदायी है। आइए जानें ज्येष्ठ मास के दूसरे प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में-

    पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को, यानी 12 जून को पड़ने वाला है। 12 जून रविवार को त्रयोदशी तिथि सुबह बजकर 24 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं त्रयोदशी तिथि का समापन 13 जून, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में रवि प्रदोष व्रत 12 जून, रविवार को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है।  

    ‘रवि प्रदोष व्रत’ के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन शिव योग और सिद्ध योग बनेंगे। शिव योग सुबह से लेकर शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, उसके पश्चात सिद्ध योग होगा, जो पूरी रात रहेगा। ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माने जाते हैं।

    12 जून को रवि योग भी बन रहा है, जो रात 11 बजकर 58 मिनट से 13 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त मुहूर्त 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है। 

    महिमा

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यतानुसार ऐसा करने से भगवान शिव खुश होकर भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं। साथ ही प्रदोष व्रत के प्रभाव से दांपयत्य जीवन में खुशहाली बरकरार रहती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है।