आज है ‘सर्वपितृ अमावस्या’, जानिए ‘पितृपक्ष’ के इस अंतिम दिन का महत्व

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    -सीमा कुमारी

    सनातन धर्म में ‘सर्वपितृ अमावस्या’ (Sarva Pitru Amavasya) का विशेष महत्व है। पितृपक्ष  (Pitru Paksha) के 16 दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होते हैं। कहा जाता है कि, इन दिनों में पितरों को यमराज की ओर से मुक्त कर दिया जाता है।

    ऐसे में हमारे पूर्वज पृथ्वी पर अपने वंशजों के बीच आते हैं और उनसे अन्न जल की अपेक्षा रखते हैं। पूर्वजों की इस आशा को पूरा करने के लिए ही श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं।

    शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध और तर्पण के जरिए ही हमारे पितरों को अन्न और जल मिलता है। इस साल 10 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन 25 सितंबर को होगा।

    हर वर्ष अश्विनी कृष्ण पक्ष के अमावस्या के दिन ‘सर्वपितृ अमावस्या’ पड़ती है जिसे ‘महालय अमावस्या’ (Mahalaya Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि पिंडदान, श्राद्ध, और तर्पण का अंतिम दिन होता है। जिसके बाद पित्रपक्ष समाप्त हो जाता है। मान्यता है कि ‘महालय अमावस्या’ के दिन पितरों को विशेष विदाई देने से और पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानें क्या है सर्वपितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त और महत्व।

    मुहूर्त

    सर्वपितृ अमावस्या तिथि: 25 सितंबर 2022, रविवार

    सर्वपितृ अमावस्या आरम्भ: 25 सितंबर 2022, रविवार, सुबह 03:11 से

    अमावस्या तिथि समाप्त: 26 सितंबर 2022, सोमवार, सुबह 03:22 पर

    महत्व

    शास्त्रों के मुताबिक, ‘सर्वपितृ अमावस्या’ को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है और विशेष व्यंजन व पकवान बनाए जाते हैं। बनाए गए भोजन को कौए, गाय व कुत्ते को दिया जाता है। साथ ही इस दिन ब्राह्मण भोजन कराने से भी विशेष महत्व है। जो लोग पितृदोष से परेशान हैं उनके लिए यह दिन सबसे महत्वपूर्ण है।